श्री राम कथा के सुनने मात्र से मनुष्य के जीवन की सारी व्यथा स्वतः समाप्त हो जाती है। जीवन में पद प्रतिष्ठा तथा धन की प्राप्ति हो जाने पर मद और अहंकार तथा ईर्ष्या आ जाती है इसी कारण दक्ष ने सभी देवताओं को यज्ञ में आमंत्रित किया परंतु अपने सगे रिश्तेदार देवाधिदेव महादेव को विद्वेषिता के कारण आमंत्रित नहीं किया।जिसके फलस्वरूप सारा यज्ञ विध्वंस हो गया नगर के कृष्णा चित्र मंदिर के प्रांगण में श्री दक्षिणेश्वर हनुमान मंदिर द्वारा आयोजित श्री राम कथा के साप्ताहिक कार्यक्रम में उक्त जानकारी भक्तो को दे रहे थे। कार्यक्रम के पूर्व आयोजक समिति के विवेकानंद पांडेय राम आशीष दुबे देवेंद्र मोहन सिंह छवि श्याम शर्मा डा रामगोपाल आदि ने मानस मर्मज्ञ शास्त्री जी का स्वागत अभिनंदन पुष्प बिखेरते हुए आरती उतारकर मंच पर किया ।
इस अवसर पर श्री शास्त्री ने कहा कि जीव अपने कर्मो से जन्म लेता है जबकि साक्षात भगवान अवतरित होते है । भक्तों के हितों की रक्षा करने के लिए भूमंडल की प्रथम नगरी अयोध्या में प्रभु मनु और शतरूपा ने महाराजा दशरथ और कौशल्या के रूप में अवतरित हुए।इस अवसर पर श्री राम चंद्र जी जन्म की झांकी का अविस्मरणीय दर्शन कराते हुए बधाई गाया गया ।अंत में श्रीराम जी तथा व्यास जी की आरती उतारी गई और प्रसाद वितरण किया गया।इस अवसर पर मुख्य रूप से आनंद गुप्ता कमल कुमार सिंधी आर के सिंह सुनील दुबे पुनीत कुमार कैलाश चंद जायसवाल डा रामगोपाल श्रवण गुप्ता राम आशीष दुबे राजकुमार खंडेलवाल ,अरुण कुमार धनेश कुमार राकेश मद्धेशिया संजय गुप्ता प्रकाश गुप्ता राम जी गुप्ता आदि मौजूद रहे ।