भारतीयता में भारत माता की लाडली सन्तान होने के भाव भरे हैं। इसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुगन्ध से अपनत्व का अहसास है। यही वह भावना है जो कश्मीर से कन्याकुमारी तक हम सभी भारतवासी भाई-बहनों को स्नेह सम्बन्धों के धागों में पिरोती है। यह शब्द जब हृदय में अन्तर्दीप की तरह प्रज्वलित-प्रकाशित होता है तो राष्ट्र के समस्त शूरवीर साहसी सैनिक सीमाओं के प्रहरी बनकर दुश्मनों का दिल दहलाते हैं।
भारत भूमि के कण-कण में भारतीयता की ऊष्मा एवं ऊर्जा है जो सुरक्षा बल के जवानों को देश के दुश्मनों/आतंकियों को परास्त करते हुए शहीद होने के लिए प्रेरित करती है। यही प्राकृतिक आपदाओं में वीरों को हमारा खेवैया बनने का साहस देती है। अपनी निजी स्वार्थ के कुत्सित कलुष भावना से कुटिल कुबुद्धि वाले कुचक्री लोग प्रान्तीयता, क्षेत्रीयता, जातीयता, साम्प्रदायिकता की बातें करके भारतीयता की भावनाओं में दरार डालने में सफल होते नजर आ रहे हैं।
लेकिन हमें आपसी एकजुटता प्रदर्शित करके इस प्रयास में उनकी पराजय सुनिश्चित करना है, क्योंकि हम सबकी पहली और अन्तिम पहचान भारतीयता है। भले ही हममें से कोई किसी भी प्रान्त, क्षेत्र अथवा जाति का क्यों न हो? उसकी कोई भी भाषा और कोई भी धर्म क्यों न हो? परन्तु ये सब कभी हमारे भरतवंशी, भारतवासी और भारतीय होने में रुकावट नहीं बन सकते। भारत देश के किसी भी कोने के किसी भी व्यक्ति की श्रेष्ठता हमारी श्रेष्ठता है, उस पर हमें गर्वित होने का पूरा हक है और इसी तरह भारत भूमि के किसी छोर के किसी भी इन्सान की कमजोरी/कमी हमारी अपनी कमजोरी व कमी है। इसे हटाने-मिटाने के लिए हर तरह से प्रयत्नशील होना हमारा कर्त्तव्य है। स्वाधीन भारत के निवासियों की एक ही पहचान है- भारतीयता। अब समय आ चुका है अपनी भारत भूमि एवं भारतीयता के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए सर्वदा तैयार रहना होगा।
- प्रदीप कुमार पाण्डेय
- प्रदीप कुमार पाण्डेय

