वेदों और पुराणों की एक शब्द भी मनुष्य के जीवन की दशा एवं दिशा बदल देते हैं । गुरु और माता ही शिक्षा की जननी है बच्चों को सुंदर संस्कार देने में मां और गुरु का ही महत्वपूर्ण स्थान होता है।उक्त विचार हैं नैमिषारण्य से पधारे हुए श्री श्री श्री 1008 सुशील कुमार शुक्ला के अनन्य शिष्य श्री 108प्रमोद कुमार शुक्ला जी महाराज के ।वे मऊ नगर की तमसा तट पर स्थित श्री संगत घाट मंदिर पर आयोजित साप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा के अनंतर उक्त विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि साष्टांग प्रणाम करने मात्र से ही मनुष्य का जीवन सुंदर सहज हो जाता है तथा आयु में भी वृद्धि हो जाती है। देवाधिदेव श्री भोले नाथ जी के द्वारा दिए गए वरदान से उत्पन्न पुत्र मृदुल के जीवन की विवेचना करते हुए बताया कि उनके जीवन के 5 वर्ष ही उसे अमरता में मात्र गुरु एवं माता-पिता तथा सभी बड़ों का आदर सम्मान एवं सत्कार से बदल दिए। उन्होंने कहा कि ब्रह्मा के द्वारा लिखे हुए लेख को भी ऋषि एवं संत अपने आशीर्वादो से बदल देते हैं ।इसका साक्षात प्रमाण मृदुल का जीवन दान पाना है ।इसी क्रम में श्री शुक्ला जी ने राम के नाम का महत्व बताते हुए कहा कि राम नाम लेने वाले व्यक्ति के पास काल ही नहीं बल्कि महाकाल भी नहीं पहुंच सकता है। बिल्वपत्र पर बिल्व के पत्र पर श्री राम के नाम को लिख देने के पश्चात उसी बाबा भोलेनाथ के ऊपर समर्पित करने मात्र से मनुष्य तू के जीवन में कभी भी किसी प्रकार की कोई भी कार कोई भी कठिनाई नहीं आती है भागवत कथा के अनंतर शिशुपाल के विवाह रोकने के साथ साथ रुक्मिणी जी से श्री कृष्ण के विवाह का सजीव वर्णन किया। अन्त में व्यास तथा भगवान कृष्ण की आरती उतारी गई।इस अवसर पर संगत घाट मंदिर के प्रमुख महंत शैल जी मुख्य पुजारी अरुण दास तथा कार्यक्रम के आयोजक राघवेंद्र सिंह बच्चा राय मोती लाल विश्वकर्मा राजेंद्र गुप्ता अभिषेक शर्मा रवि यादव सौरभ राय अनिल शर्मा सुमित शुभम अंगद यादव आकाश राम दुलारे अजीत मौर्य अरविंद मौर्य रवि चौरसिया लोचन डी जे सचिन कुमार कैलाश जायसवाल दीप कुमार बिजेंद्र वर्मा विनय मद्धेशिया समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहे ।
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माता ही शिक्षा की जननी है बच्चों को सुंदर संस्कार देने में मां और गुरु का ही महत्वपूर्ण स्थान होता है