बुनकरों को फ्लैट रेट बिजली दिए जाने की माँग को लेकर सपा के कार्यकारिणी सदस्य अल्ताफ अंसारी ने मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन सौंपा*
मऊ - मार्च से लागू देश भर में चल रहे कोविड-19 महामारी और देशव्यापी तालाबंदी के बीच, उत्तर प्रदेश के मऊ शहर में साड़ी बुनकर भुखमरी के कगार पर हैं ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बुनकरों को दी जाने वाली फ्लैट रेट बिजली बिल को योगी सरकार द्वारा समाप्त किए जाने के आदेश के बाद यह व्यवसाय पूरी तरह समाप्त हो जाएगा ये बातें आज समाजवादी पार्टी के कार्यकारिणी सदस्य व पूर्व सपा ज़िलाध्यक्ष अल्ताफ अंसारी ने मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी मऊ की अनुपस्थिति में सीटी मजिस्ट्रेट जे.एन सचान को देते हुए कहीं।
दिए गए पत्रक में उन्होंने कहा है कि मऊ शहर साड़ियों के निर्माण के लिए इतना जाना जाता है कि भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने इसे 1957 में 'मैनचेस्टर ऑफ हैंडलूम' कहा था।
आगे उन्होंने बताया कि 2006 में बिजली बिल के नाम पर बिजली विभाग द्वारा बुनकरों का शोषण किया जाता था। मीटर की रीडिंग बढ़ाकर और गलत रिपोर्ट लगाकर बुनकरों को बहुत अधिक मुल्य का बिल भेजा जाता था। जिसकी शिकायत पर उस समय के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने बुनकरों को फ्लैट रेट बिजली देने का आदेश पारित किया था।
2006 में समाजवादी पार्टी की सरकार से उत्तर प्रदेश के बुनकरों को फ्लैट रेट बिजली मिल रही थी जिसको वर्तमान सरकार ने 4 दिसंबर 2019 को एक आदेश पारित कर समाप्त कर दिया है।
जिससे बुनकरों का जीवित रहना मुश्किल हो जाएगा।
इस लाकडाउन में बुनकरों के पास बचत के जो पैसे थे वह पहले ही खर्च हो चुके हैं । और अगर इन्हें पूर्व की भांति फ्लैट रेट पर बिजली नहीं मिलेगी तो यह व्यवसाय भी बंद हो जाएगा और लोग भूखों मरेंगे इस समय लोग बहुत ही मुश्किल में अपना जीवन बिता रहे हैं।
बुनकरों में 60 से 65 प्रतिशत ऐसे बुनकर हैं जिनके पास लूम के अतिरिक्त जीविका का कोई अन्य साधन नहीं है। ये प्रतिदिन कुंआ खोद कर पानी पीने वाले मजदूर हैं। लेकिन अब लूम का ताना बाना खत्म होने और काम बंद होने से ये भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं । ऐसे में बिजली बिल की मार से ये पूरी तरह टूट जाएंगे और भूखमरी के शिकार हो जाएंगे।
ऐसे में सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष अल्ताफ अंसारी ने माननीय मुख्यमंत्री से ये मांग की है कि बुनकरों की दयनीय हालत को देखते हुए 14 जून 2006 को फ्लैट रेट पर बुनकरों को बिजली दिए जाने के शासनादेश 1969(1) 24-पी-3-2006 को बहाल किया जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री से दया दृष्टि की अपील की जिससे बुनकरों का एक बड़ा वर्ग इससे लाभान्वित हो सके और बुनकरों को भूखों मरने पर मजबूर न होना पड़े।
पत्रक लेने के बाद सीटी मजिस्ट्रेट जे.एन सचान ने आश्वस्त किया कि बुनकरों की इस समस्या को मुख्यमंत्री जी से अवश्य अवगत कराया जाएगा।
इस अवसर पर प्रतिनिधिमंडल में मुख्य रूप से हाजी इरफान बीटीआई, इंजीनियर शोएब नोमानी, एकबाल अहमद, अनीस अहमद हलचल, मोल्वी अश्फाक अहमद, अब्दुल वदूद, शकील अहमद, इम्तियाज़ अहमद, शोएब अंसारी, आरिफ आदि उपस्थित रहे।

