हिन्दी दिवस के अवसर पर डी.सी.एस.खण्डेलवाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सभागार में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. शर्वेश पाण्डेय की अध्यक्षता में हिन्दी पखवाड़ा के पहले दिन एक गोष्ठी एवं भाषण प्रतियोगिता का आयोजन रविवार को किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत में माँ सरस्वती के चित्र पर पं. दयाशंकर तिवारी सहित सभी विद्वानों ने पुष्पांजलि अर्पित किया । डॉ. सूर्यभूषण द्विवेदी ने मंगलाचरण व सरस्वती वन्दना का पाठ किया। डॉ. कमलेश राय ने हिन्दी वन्दना "ममता की हिन्दी भाषा को आओ नमन करें" प्रस्तुत करते हुए कहा कि यदि हम अपनी मातृभाषा हिन्दी की सेवा करते हैं तो माँ सरस्वती की सेवा करते हैं। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए तारकेश्वर शाही ने कहा कि भारत की भाषाओं एवं संस्कृति की यह विशेषता है कि संसार की भाषाओं और संस्कृति को समाहित कर लेती है। दुनिया की संस्कृति को समझने के लिए अपनी भाषा के साथ-साथ अन्य देशों की भाषाओं को भी सीखना चाहिए।
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. शर्वेश पाण्डेय ने कहा कि हिन्दी भाषा में विज्ञान के क्षेत्र में भी लिखा गया है। हिंदी की परम्परा में आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी ने विज्ञान पर लिखा है। हिन्दी के बहुत सारे विद्वानों ने अन्य भाषाओं के साहित्य का अनुवाद किया है। हिन्दी के सामने जो चुनौती है वह हमारे संस्कारों के लिए भी चुनौती है। ज्ञान - विज्ञान के क्षेत्र में पूर्वांचल की धरती बहुत उर्वर रही है, लेकिन सबसे बड़ी बिडम्बना है कि उत्तर भारत में एकेडमिक स्तर पर कोई बड़ा अनुसंधान केन्द्र नहीं है। भारत में कभी भी मेधा की कोई कमी नहीं रही है। आज हमें अपने ज्ञान की जानने और समझने की जरूरत है। साथ ही यह भी जानने वाली बात है कि हमारे साहित्य को दुनिया के लोगों ने चुराया है। वरिष्ठ कवि पं. दयाशंकर तिवारी ने बच्चों से कहा कि अपनी भाषा को ढंग से सीखनी चाहिए। हिन्दी की समृद्धि के लिए उसमें नवाचार की जरूरत है। मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि हिन्दी साहित्य कहीं न कहीं गुटबाजी का शिकार हुआ है इसमें लेखकों, सम्पादकों एवं प्रकाशकों की नाकारात्मक भूमिका रही है। डॉ. रामनिवास राय ने कहा कि यह बहुत सुखद है कि आज की पीढ़ी हिन्दी भाषा के विकास में सोच रही है। प्रो. चन्द्रप्रकाश राय ने बताया कि हिन्दी एक सरल भाषा है। हिन्दी में जो लिखा जाता है वही बोला जाता है, यह विशेषता हिन्दी की वैज्ञानिकता को सिद्ध करती है। हिन्दी भाषा की एक प्रमुख विशेषता यह भी है कि यह रिश्तों को प्रतिबिंबित करती है।
हिन्दी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. प्रद्युम्न पासवान ने कहा कि हिन्दी भाषा को जोड़ने वाली भाषा है। हिन्दी बहुत लचीली भाषा है, इसमें स्वीकृति की परम्परा रही है। एड. देवेश राय ने कहा कि हिन्दी हमारे हृदय में बसने वाली भाषा है। जनकवि जितेंद्र मिश्र काका ने अपने वक्तव्य में कहा कि हिन्दी अपने समृद्ध साहित्य से दुनियाभर के साहित्य को चुनौती प्रस्तुत कर रही है। माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष जयनारायण द्विवेदी के अनुसार सभी भाषाओं का सूत्र हिन्दी भाषा है। युवा साहित्यकार सुमित उपाध्याय ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे। भाषण प्रतियोगिता में संगीता प्रजापति को प्रथम, शुभम साहू को द्वितीय एवं अंजली सिंह को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। कार्यक्रम का संचालन सहायक आचार्य अभय राय एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विशाल जायसवाल ने किया। इस अवसर पर आनंद सिंह, सुरेन्द्र राय, रामस्नेही राय, परमानंद पाण्डेय, संजय तिवारी, लालचंद राय, योगेंद्र सिंह, अखिलेश वर्मा ,बृजेश गिरि, संतोष यादव, मानस मिश्र सहित सैकड़ों विद्यर्थी उपस्थित रहे।