असमय हुई भारी बारिश ने खेतों में खड़ी धान की फसल को भारी नुकसान पहुँचाया है। जिन किसानों ने पूरे साल मेहनत करके उम्मीदों की फसल बोई थी, आज वे निराशा और दुःख से भरे हुए हैं। खेतों में पानी भर जाने से पौधे सड़ गए हैं, कई स्थानों पर पूरी फसल नष्ट हो गई है।
यह केवल आर्थिक क्षति नहीं, बल्कि किसानों के परिश्रम, सपनों और भविष्य पर पड़ा गहरा आघात है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार किसान ही है — जब वही संकट में होता है, तो पूरा समाज प्रभावित होता है।
अब आवश्यकता है कि सरकार त्वरित रूप से राहत कार्य शुरू करे। प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल सर्वेक्षण कराकर वास्तविक किसानों तक मुआवजा पहुँचाया जाए। फसल बीमा योजनाओं के तहत दावे शीघ्रता से स्वीकृत किए जाएँ ताकि किसानों को आर्थिक सहारा मिल सके। साथ ही, अगली फसल के लिए बीज, खाद और अन्य संसाधनों की सहायता भी प्रदान की जानी चाहिए।
समाजवादी नेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता निसार अहमद ने कहा कि  "असमय बारिश से किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है। यह समय किसानों के साथ खड़े होने का है, न कि आश्वासनों का। सरकार को तुरंत राहत पैकेज घोषित करना चाहिए ताकि प्रभावित किसान परिवारों को सहारा मिल सके। प्रशासन को गांव-गांव सर्वे कर वास्तविक पीड़ितों तक सहायता पहुँचाने का निर्देश दिया जाना चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा कि यदि सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाए तो आने वाले समय में किसान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था दोनों गहरे संकट में पड़ सकते हैं। बारिश ने फसलें बर्बाद की हैं, लेकिन यदि सरकार तत्परता दिखाए तो किसानों की उम्मीदें फिर से हरी हो सकती हैं।
