कृषि ड्रोन परियोजना के अंतर्गत राष्ट्रीय बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा कृषक प्रक्षेत्र पर ड्रोन से छिड़काव

 
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कुशमौर स्थित राष्ट्रीय बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा आज दिनांक 20.02.2025 को कृषि ड्रोन परियोजना के अंतर्गत राष्ट्रीय कवि श्यामनारायण पाण्डेय के गाँव डुमरांव, मऊ में ड्रोन द्वारा गेहूं के फसलों पर फफूंदनाशक का छिड़काव किया गया|  करीब 4 लीटर प्रोपिकानाजोल नामक फफूंदनाशक का छिड़काव किसानों के खेती की  4 हेक्टेयर भूमि पर किया गया जिससे  गेहूं के दानों में मोटापन और चमक आ जाती है | भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा ड्रोन की उपयोगिता के दृष्टिगत किसानों के प्रक्षेत्र पर इसकी उपयोगिता की योजना बनाई गई है| बहुतेरे कृषि कार्यों में भी ड्रोन उपयुक्त पाया गया है विशेषकर फसलों में छिड़काव हेतु ड्रोन अच्छा परिणाम दे सकते हैं| विभिन्न फसलों में पोषक तत्व, कीटनाशक, फफूंद नाशक आदि का छिड़काव ड्रोन के माध्यम से करके बेहतर परिणाम पाया जा सकता है| प्रधान वैज्ञानिक डॉ अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि कृषि ड्रोन से छिड़काव के कई लाभ हैं जिसमें समय एवं पानी की बचत मुख्य है तथा इसमें कृषि रसायन भी कम व्यर्थ होते हैं| ड्रोन द्वारा लगभग 10 से 15 लीटर पानी के साथ 7 से 10 मिनट में 1 एकड़ का छिड़काव किया जा सकता है जबकि पारंपरिक रूप से 1 एकड़ के छिड़काव में लगभग 150 से 200 लीटर पानी की आवश्यकता होती है साथ ही साथ कृषि रसायनों की भी कम आवश्यकता पड़ती है| कृषि रसायनों से ड्रोन संचालक की दूरी की वजह से मानव स्वास्थ्य के लिहाज से भी ड्रोन का प्रयोग सुरक्षित है| कुछ फसलें जैसे गन्ना, बगीचा जहां पारंपरिक विधियों से छिड़काव कठिन होता है वहां ड्रोन द्वारा छिड़काव आसानी से किया जा सकता है| ड्रोन छिड़काव कार्यक्रम का संचालन संस्थान के वैज्ञानिक डॉ बनोथ विनेश कर रहे हैं | ड्रोन का संचालन युवा वृत्तिक श्री त्रिलोकी प्रकाश सिंह कर रहे हैं |