शिशुगृह केे बच्चों के चेहरे खुशी से खिल उठे जब उनके बीच में लंबे अंतराल के बाद पहुंची श्रीमती विनीता पांडेय.
मकर सक्रांति के पर्व पर विनीता पांडेय ने शिशुगृह के बच्चों के बीच में जाकर ऊनी जैकेट, स्वेटर,मोजे,तिलकुट मिठाईयां इत्यादि का वितरण किया बच्चे इनको अपने बीच में पाकर खुशी से चहक उठे क्योंकि कुछ व्यस्तताओं की वजह से कई महीनों के बाद वह बच्चों के बीच में पहुंची थी पहले अक्सर ही उस विभाग के नाते बच्चों के बीच में पहुंचा करती थी और उनका हालचाल लिया करती थी तथा अपने बच्चों का जन्मदिन भी उन्हीं बच्चों के साथ मनाया करती थी उन्होंने बताया कि मुझे इस शिशुगृह से बहुत ज्यादा लगाव है क्योंकि हमारी ही देखरेख में इसकी स्थापना हुआ था और हमारे ही आदेश से इसमें बच्चे आना प्रारंभ किए थे मैं अक्सर इन बच्चों के बीच में इसलिए आया करती हूं कि बच्चों को यहां पर घर जैसा माहौल पैदा हो सके क्योंकि यह बच्चे भूले भटके एवं लावारिस स्थिति में यहां पर आते हैं और किसी कारणवश अपने मां बाप से दूर होकर बहुत दुखी भी रहते हैं इनके चेहरे पर खुशियां लाकर बहुत ही प्रसन्नता होती है और संतुष्टि भी क्योंकि हर एक बच्चे को जीने का अधिकार है अगर उनसे यह अधिकार छीना जाता है तो यह कहीं न कहीं अपराध है सरकार की तरफ से बच्चों को इन्हीं अधिकारों को पाने के लिए शिशुगृह का व्यवस्था किया गया है जो जिला प्रोबेशन अधिकारी के देखरेख में चलता है जिनका कोई नहीं हो उनके लिए यह गृह बना है तथा लीगल प्रक्रिया के तहत इन बच्चों को निसंतान दंपत्ति गोद लेकर अपनी सुनी कोख को बच्चों की किलकारी से भरते हैं और वह बच्चे उनके घर आंगन की खुशहाली के कारण बनते हैं l

