इस साल 4 ग्रहण हैं, जिसमें से 2 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्रग्रहण हैं. साल 2021 का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई को है. वैशाख मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि बुधवार को खग्रास चन्द्र ग्रहण लग रहा है. यह भारत में कुछ स्थानों पर दृश्य होगा. तथा भारत में इस ग्रहण का स्पर्श, समिम्लन, उन्नमिलन, मध्य तथा मोक्ष सभी दृश्य होंगे. दोपहर 2:18 बजे से शुरू होकर पांच घंटे बाद शाम 7:19 बजे समाप्त होगा.
यह उपछाया चंद्र ग्रहण केवल पश्चिम बंगाल, बंगाल की खाड़ी और उत्तरपूर्व के कुछ हिस्सों से ही छाया के रूप में नजर आएगा. कुछ क्षेत्रों में ग्रस्तोदय के रूप में इस ग्रहण को देखा जा सकता है. इसके सूतक का विचार भी संपूर्ण देश में नहीं होगा. जिन स्थानों पर ग्रहण दिखेगा, वहीं पर सूतक का विचार रहेगा. इंफाल में 25 मिनट और कोलकाता में मात्र छह मिनट यह ग्रहण होगा.
उपर्युक्त स्थानों के अलावा समस्त भारत पश्चिमोत्तर-दक्षिण एवं बिहार राज्य के किसी भी स्थान पर सायंकाल चंद्रोदय 6.21 बजे के बाद ही होगा. शास्त्रों के अनुसार चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण आरंभ समय से नौ घंटे पहले से ही आरंभ हो जाता है. अत: इसका सूतक प्रात: 06:15 से ग्रसित क्षेत्रों में ही मान्य होगा अन्यत्र कहीं विचार नहीं किया जाएगा.
क्या होता है ग्रहण?
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और दानवों के बीच अमृत के लिए घमासान चल रहा था. इस मंथन में अमृत देवताओं को मिला लेकिन असुरों ने उसे छीन लिया. अमृत को वापस लाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर कन्या का रूप धारण किया और असुरों से अमृत ले लिया. जब वह उस अमृत को लेकर देवताओं के पास पहुंचे और उन्हें पिलाने लगे तो राहु नामक असुर भी देवताओं के बीच जाकर अमृत पीने के लिए बैठ गया. जैसे ही वो अमृत पीकर हटा, भगवान सूर्य और चंद्रमा को भनक हो गई कि वह असुर है. तुरंत उससे अमृत छिना गया और विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से उसकी गर्दन धड़ से अलग कर दी.
क्योंकि वो अमृत पी चुका था इसीलिए वह मरा नहीं. उसका सिर और धड़ राहु और केतु नाम के ग्रह पर गिरकर स्थापित हो गए. ऐसी मान्यता है कि इसी घटना के कारण सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगता है, इसी वजह से उनकी चमक कुछ देर के लिए चली जाती है. वहीं, इसके साथ यह भी माना जाता है कि जिन लोगों की राशि में सूर्य और चंद्रमा मौजूद होते हैं उनके लिए यह ग्रहण बुरा प्रभाव डालता है