मऊ --जब अपने ही ड्राइवर के लिए ड्राइवर बने गए एसडीएम साहब

जब अपने ही ड्राइवर के लिए ड्राइवर बने गए एसडीएम साहब

कई वर्षों की सेवा के बाद जब उनका ड्राइवर रिटायर हुआ तो खुद एसडीएम साहब उसके ड्राइवर बने और उन्हें घर तक विदा करने गए।

एक अधिकारी की सबसे अच्छी बात ये होती है कि वह अपने नीचे काम करने वालों की इज्जत करे और उनका पूरा सम्मान करे। अधिकारियों की इस खूबी को कई बार जाने अनजाने तौर पर देखा भी गया है। मऊ में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला, जब एसडीएम ने अपने ड्राइवर को नायाब तोहफा दिया। दरअसल, कई वर्षों की सेवा के बाद जब उनका ड्राइवर रिटायर हुआ तो खुद एसडीएम साहब उसके ड्राइवर बने और उन्हें घर तक विदा करने गए। 
ड्राइवर का काम गाड़ी चलाना होता है। पीछे की सीट पर इतना ही नहीं उन्होंने अपने रिटायर ड्राइवर राजेन्द्र प्रसाद के सम्मान में भव्य विदाई कार्यक्रम का भी आयोजन कराया। इस कार्यक्रम में सभी एडीओ, बीडीओ अखिलेश गुप्ता और अन्य ब्लाकों के कर्मचारी, ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि मिंटू दूबे, रणवीरपुर से प्रधान सुनील सिंह, अहिलाद से झब्बू सिंह आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन गोपाल कृष्ण पांडेय नें किया। सभी की ऑखें नम थी। 
      ड्राइवर को सम्मान के साथ पिछली सीट पर बैठाकर खुद ड्राइवर की सीट पर बैठकर उनकी वर्षों की सेवा का सम्मान दिया तब लोगों के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। हो भी क्यों न, आखिर ऐसी उल्टी गंगा बहते हुए किसने देखा है। 
डिप्टी कलेक्टर के पद पर जब आशुतोष कुमार राय का चयन हुआ था उस समय पहला चार्ज ब्लाक परदहा का मिला था। उस समय भी उनके चालक ड्राइवर राजेन्द्र प्रसाद ही थे। इस कोरोना काल में राजेन्द्र प्रसाद नें एक दिन भी बिना छुट्टी लिए पूरी जिम्मेदारी के साथ एसडीएम साहब के साथ दिनरात लगे रहे। चाहे ट्रेन से आए यात्रियों को भोजन बांटना हो या जरूरतमंदो के घर दवा पहुंचाना । 

जब एसडीएम आशुतोष कुमार राय फूलों से सजी गाड़ी से ड्राइवर राजेंद्र प्रसाद को लेकर उनके घर पहुंचे तो राजेन्द्र प्रसाद की ऑखों में आंसू आ गए । इस नज़ारा को देखकर गांव वाले गदगद थे।