एँकर--मऊ जिले के शाही कटरा के मैदान में होन वाले भरत मिलाप की शुरुवात मुगल शासिका जहाँआरा के शासन काल से शुरु हुयी थी।जो लगभग 500 सालो से एक जैसे रुप में ही मनाया जाता रहा है। शाही कटरा के मैदान में सम्पन्न होने वाले कहते है इसके पीछे सोच मुगलशासिका जहाँआरा की थी जो इस तरीके से भरत मिलाप करा कर दोनो सम्प्रदायो की कला और संगीत के अदभूत संयोग को जन्म देना चाहती थी। भरत मिलाप कमेटी संरक्षक ने बताया कि यह भरत मिलाप ऐतिहासिक भरत मिला प है यहा पर जब तक अल्हा हो अकबर और हर हर महादेव के स्वरो का मिलन हो कर सुर में मिले हामरा तुम्हारा एक होकर राम रहीम के मिलन होने के बाद ही भरत मिलाप की प्रक्रिया सम्पन्न कराया जाता है। यहा पर भरत मिलापपहले होता था लेकिन इस तरह से अदभूत मिलन की सोच को जहाआरा बेगन द्वारा शुरुवात कराया गया। शाही मस्जिद कटरा के मैदान स्वयं जहाँआरा बेगम खुद ही बैठ कर इस नैना भिराम झाकी का लुत्फ उठाती और भरत मिलाप को देखती थी साथ ही सराहना भी करती थी। उन्ही ने ही इस अनोखी परम्परा की शुरुवात को जन्म दिया था।