शिक्षा ऐसी हो जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करें, तभी अंधविश्वास,पाखंड रहित समाज का निर्माण संभव --डॉ. बी.आर. बुद्धप्रिय


मऊ। महाबोधि समाज सेवा समिति उ. प्र., बहुजन कल्याण परिषद एवं सम्यक समाज सेवा संस्थान के तत्वाधान में संत गाडगे बाबा एवं पेरियार ई.वी. रामास्वामी नायकर के परिनिर्वाण दिवस एवं "उनके विचारों के संदर्भ वर्तमान शिक्षा एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण" विषयक सामाजिक उन्नयन संगोष्ठी का आयोजन डॉ. रामविलास भारती के संयोजन में बुध विहार भीटी मऊ में संपन्न हुआ। इस अवसर पर आयोजक डॉ.रामविलास भारती ने सभी को भारत का संविधान व प्रसिद्ध लेखक एच.एल. दुसाद द्वारा रचित पुस्तक 'बहुजन डाइवरसिटी मिशन की अभिनव परिकल्पना' भेंट किया।मुख्य अतिथि दलित साहित्यकार एवं चिन्तक डॉ. बी.आर. बुद्धप्रिय ने कहा कि वर्तमान शिक्षा में वैज्ञानिक दृष्टिकोण जरूरी है, तभी अन्धविश्वास व पाखंड से अलग समतामूलक समाज का निर्माण संभव है। विशेष अतिथि के रूप में पधारे सेवानिवृत्त आई.ए.एस. हरीश चन्द्रा जी ने कहा कि संविधान हमें शिक्षा व वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने की बात करता है, हमें इसी के अनुसार करने की आवश्यकता है। अध्यक्षता कर रहे सेवानिवृत्त पी.ई.एस. शिवचन्द राम ने कहा कि हमे संत गाडगे एवं पेरियार रामास्वामी नायकर के तार्किक रूपी समाज का निर्माण करना होगा। पूर्व उप महाप्रबंधक आर.के.यादव ने कि कोई बच्चा पढ़ाई से वंचित न हो जाय , यह हमें ध्यान रखना होगा तभी गाडगे के सपनो का समाज बन सकता है। लोकतंत्र सेनानी राम अवध राव ने कहा कि हमे तार्किक समाज बनाने की जरूरत है। 
         कार्यक्रम के मुख्य आयोजक/ संयोजक व संचालक डॉ. रामविलास भारती ने सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम शिक्षा व वैज्ञानिक दृष्टिकोण के बल पर अंधविश्वास, पाखण्ड का खात्मा कर समता, स्वतंत्रता, बन्धुत्व व न्याय पर आधारित समाज बना सकते हैं। इस अवसर पर रामअवध राव, रामबहादुर उर्फ जब्बार, रामभवन प्रसाद श्रवण कुमार, शिवा कन्नौजिया, तपेश्वर राम, उषा भारती, भूपेंद्र वीर, बासुदेव, भोला राम, डॉ.आर.के.गौतम, मुन्नू राम, विजय कुमार, बाबू राम, सुभाष चंद, शिवशंकर, रामजनम सागर, अभिमन्यु, संजय सहाय, दुक्खी प्रसाद, डॉ. तेजभान, डॉ. रामशिरोमणि, आखिलेश यादव, संतोष यादव, मनोज कुमार, हरिकेश, पृथ्वीराज, बृजेंद्र गौतम, सोनाली, नीतू गौतम, नेहा, कौशल कुमार, ब्रिकेश यादव, सत्यम कुमार, जामवंत आदि उपस्थित रहे।