अमृत पब्लिक स्कूल में विजयादशमी के शुभ अवसर पर रामलीला का मनमोहक एवं आकर्षक मंचन किया गया | इसमें विद्यालय के विभिन्न वर्गों से लगभग 100 से ज्यादा छात्र- छात्राओं ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दी | कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि श्री राजेश कुमार सिंह जी (इनकम टैक्स इंस्पेक्टर) एवं विशिष्ट अतिथि श्री अवधेश सिंह जी , कैप्टन वी० के० सिंह जी, श्री यशवंत सिंह जी, श्री ऋषिकेश पाण्डेय, विद्यालय प्रबंधिका श्रीमती नर्मदा सिंह तथा उनकी पुत्री श्रीमती सपना सिंह एवं विद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ० माया सिंह ने संयुक्त रूप से माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वल्लन कर किया | इस कार्यक्रम में छात्र- छात्राओं ने मुख्य रूप से राजा दशरथ एवं गुरु वशिष्ठ संवाद, राम जन्म, राम-लक्ष्मण विश्वामित्र संवाद, जनकपुर में सीता स्वयंवर, लक्ष्मण-परशुराम संवाद, कैकई-मंथरा संवाद, राजा दशरथ का पुत्र वियोग, सुर्पनखा-लक्ष्मण संवाद, रावण- शूर्पपनखा संवाद, सीताहरण, राम-हनुमान मिलन, हनुमान-विभीषण संवाद, रावण-मंदोदरी संवाद एवं राम- रावण महासंग्राम का आलौकिक एवं सदाचार से ओत-प्रोत मंचन एवं प्रस्तुतियाँ दी जिसमें दशरथ वियोग एवं सीता स्वयंवर आकर्षण का केंद्र बिंदु रहा | इसके साथ ही रावण की पराजय और राम की विजय के बाद अयोध्या में रामजी, सीताजी, लक्ष्मण एवं हनुमान की वापसी पर भव्य राज्याभिषेक एवं आरती की गई | इस कार्यक्रम के साक्षी रहे मुख्य अतिथि ने सभी बच्चों को आर्शीवचन देकर कहा कि विजयादशमी हमें सदाचार का पाठ पढ़ाती है वही विद्यालय के प्रबंधिका श्रीमती नर्मदा सिंह जी ने कहा कि श्री रामचरित मानस महाकाव्य की दृष्टि से सर्वोच्च कोटि का आदर्श गृहस्थ जीवन कैसे जीया जा सकता है उसका ज्ञान देता है इसका हमें अपने जीवन में अनुसरण करना चाहिए और अंत में विद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ० माया सिंह ने सभी अतिथियों के प्रति आभार प्रकट किया एवं बच्चों की भूरी-भूरी प्रसंशा की और कहा कि रामलीला मर्यादा पुरुषोतम भगवान राम की लीला है और यह लीला स्त्री-पुरुष, बालक- वृद्ध और युवा सबके लिए समान उपयोगी एवं सर्वोपरि है ये हमें आदर्शवादी होने का ज्ञान देता है | इस में विद्यालय के सभी शिक्षकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई |