रतनपुरा -मज़दूरों को उनका वाजिब हक़ देना होगा

रतनपुरा (मऊ)श्रमिक आंदोलन में मजदूर दिवस की उत्पत्ति संयुक्त राज्य अमेरिका में 19 वीं शताब्दी में हुई थी।1889 में मार्क्सवादी इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस ने 15 से 16 घंटे काम करने की अनिवार्यता को समाप्त करने के लिए और 8 घंटे काम करने की अनुमति के लिए एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन किया था। उक्त आयोजन को वहां की तत्कालीन सरकार ने गैरकानूनी मानते हुए रौंदने का प्रयास किया ,जो बाद में भीषण आंदोलन का रूप ले लिया तथा उस समय बहुत से मजदूरों को अपनी शहादत देनी पड़ी थी। जिसके परिणाम स्वरूप दुनियां के मजदूरों के लिए यह आंदोलन दुनियां के मजदूरों के लिए एक नजीर बन गया।
 भारत में लेबर डे की शुरुआत 1923 में मद्रास में लेबर किसान पार्टी आफ हिंदुस्तान द्वारा की गई थी, जिसमें लाल झंडे का इस्तेमाल किया गया था जो मजदूर वर्ग को प्रदर्शित करता है।यह दिवस जो त्याग और बलिदान मजदूरों के सम्मान उनकी एकता उनके हक में मनाया जाता है। आज श्रमिक दिवस के अवसर पर मऊ जनपद के रतनपुरा में किसान सभा के कार्यालय के समक्ष मजदूर दिवस का कार्यक्रम आयोजित किया गया।  
जिसे मजदूर श्रमिक नेता महेंद्र यादव की अध्यक्षता में किया गया । आयोजन का संचालन किसान सभा के जितेंद्र राजभर सदस्य राज्य काउंसिल ने करते हुए संगठित व असंगठित मजदूरों के गठन पर व्यापक चर्चा की। श्री राजभर ने कहा कि 24 घंटे में मजदूर के लिए 8 घंटा श्रम 8 घंटा परिवार समाज और 8 घंटा आराम के लिए बनाया गया। उसके लिए श्रमिक योद्धाओं ने बहुत ही कुर्बानियां दी। आयोजन के वरिष्ठ अतिथि किसान सभा के जिला अध्यक्ष कामरेड देवेंद्र प्रसाद मिश्रा ने श्रमिकों के शोषण पर अपनी बहुआयामी विचार रखते हुए बताया कि मजदूर वर्ग से ज्यादा दीनहीन कोई नहीं है ।मजदूर आंदोलन इसलिए रूप नहीं पकड़ रहा है कि लोग जाति धर्म के फांस में फंस गए हैं। जबकि जरूरत इस बात की है कि किसान और मजदूरों को जाति धर्म से ऊपर उठकर संगठित होना होगा। तब जाकर उनका और देश का भला हो सकेगा। 
     कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजवादी नेता प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के पूर्व प्रदेश सचिव निसार अहमद ने 1 मई की तारीख को ऐतिहासिक दिवस बताते हुए कहा कि
"श्रम सबसे अनमोल है, जीवन की सौगात 
सफल वही इंसान है, करता श्रम की बात 
आलस जीवन शत्रु है, देता विष को घोल 
श्रम से ही जीवन बने, श्रम सबसे अनमोल"
डॉ भीमराव अंबेडकर जी ने ही भारत में लेबर लॉ लागू कराया। बतौर श्रम मंत्री उन्होंने काम के 8 घंटे निर्धारित कराए, उससे पहले भारतीय मजदूर 12 से 15 घंटे काम करते थे... डॉ अंबेडकर ने डीए, लीव, इंश्योरेंस, मेडिकल लीव और न्यूनतम आय तय कराई। मज़दूर दिवस 
दुनियाँ को बेहतरीन बनाने में सबसे ज़्यादा योगदान श्रमिक वर्ग का ही रहा है। श्रमिकों के श्रम से ही शोषक वर्ग ने अपनी तिजोरियाँ भी भरी हैं और बदले उस वर्ग को यातना, घृणा, बदतर जीवन दिया है। सरसों के हर नुक्कड़ और चौराहों पर बेरोजगार मज़दूरों की फौजों खड़ी देखने को मिल जाती है।जिस मज़दूर को काम नहीं मिलता वह म मसोस, जब अपने घर लौटता है तब वह अपने बाल बच्चों से आंखें मिलाने में संकोच करने लगता है।वह अपने परिजनों के सामना करने का साहस नहीं जुटा पाता।
श्री अहमद ने सरकार से अनुरोध किया कि संगठित- असंगठित ,मजदूरों को कुशल एवं अकुशल मजदूरों के लिए युद्ध स्तर पर विभिन्न योजनाओं को चला कर उनके प्रगति के मार्ग को प्रशस्त करे।इस बृहद आयोजन में समाजवादी पार्टी के मन्नू यादव पहलवान, यसवंत यादव, अच्छेलाल भारती, सतीश यादव, ओमप्रकाश राजभर, रामप्यारे गौतम, बलराम यादव, योगेंद्र यादव, शुगन यादव, रमाकांत राजभर, बब्बन यादव, श्रवण राजभर, वकील ठाकुर, सुरेश राजभर प्रधान,मन्नू राजभर पूर्व प्रधान आदि उपस्थित होकर अपने अपने विचार प्रस्तुत किए ।