एक तरफ भारत सरकार सबका साथ सबका विकास का दम भर रही है वही जनपद मऊ से एक ऐसी खबर आ रही है जो सभ्य समाज के लिए किसी भी सूरत में सही नहीं है । शिक्षक समाज का आईना होता है शिक्षक वर्ग समाज के भावी पीढ़ीयो का भाग्य विधाता हैं जव वही अपने भाग्य पर रोने को मजबूर हो तो छात्रों के भाग्य कैसे सवार पायेगा । जब उनकी ही मांगों को नहीं सुना जाएगा तो कैसे सबका साथ सबका विकास की योजना फलीभूत होगी ।विगत 16 मार्च से जनपद मऊ के डीसीएसके पीजी कॉलेज के स्व वित्त पोषित शिक्षकों द्वारा विभिन्न मांगों को लेकर के अनवरत धरना जारी है पर कालेज प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है
अनुदानित महाविद्यालय (डी.सी.एस.के. (पी.जी.) कॉलेज, मऊ के स्ववित्तपोषित संविदा शिक्षकों का वेतन वृद्धि और भविष्य-निधि की कटौती के संदर्भ में अनवरत धरना जारी"
1-धरना प्रारंभ होने की तिथि 16 मार्च 2021
प्राध्यापकों की प्रमुख मांगें--
1-उत्तर प्रदेश शासन के शासनादेशों के अनुसार छात्र-छात्राओं से प्राप्त कुल शुल्क (सकल धनराशि) का 75 से 80% धनराशि शिक्षकों एवं कर्मचारियों के वेतन के रूप में भुगतान किया जाए अथवा महाविद्यालय प्रशासन द्वारा 10 अगस्त,2019 को गठित संवैधानिक वेतन-समिति की सिफारिशों के अनुसार वेतन दिया जाए।
2-सभी अनुमोदित प्राध्यापकों को उनकी नियुक्ति तिथि से भविष्य निधि (सी.पी.एफ.) की कटौती सुनिश्चित की जाए।

