घर-घर जाकर खोजे जाएंगे टीबी के मरीज
10 दिन चलेगा सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान
"टीबी हारेगा - देश जीतेगा" का दूसरा चरण 12 जनवरी तक
राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में एक माह तक टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान तीन चरणों में चलाया जा रहा है जिसका दूसरा चरण सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान (एसीएफ) दो जनवरी से शुरू हो चुका है । दस दिन चलने वाले इस अभियान में घर-घर जाकर स्क्रीनिग की जाएगी, जिसमें टीबी के मिलते जुलते लक्षण मिलने पर बलगम की जाँच कराई जाएगी। एसीएफ़ अभियान 12 जनवरी तक चलाया जाएगा। तीन चरणो के इस अभियान में प्रथम चरण का अभियान 26 दिसम्बर 2020 से 01 जनवरी 2021 तक चला, जिसमें अनाथालय, बृद्धाआश्रम, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, मदरसा, नवोदय विद्यालय एवं जिला कारागार में क्षय रोग एवं कोविड-19 की संयुक्त स्क्रीनिंग हुई। इसमें 746 मरीजों की स्क्रीनिंग की गयी जिसमें 333 कोविड एवं 17 व्यक्तियों की बलगम की जांच की गयी जिसमें सभी निगेटिव पाये गये। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सतीशचन्द्र सिंह ने दी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया जिले में 01 अप्रैल 2018 के बाद से चल रहे निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी रोगियों को इलाज के दौरान आधार लिंक खाते में 500 रुपये हर माह पौष्टिक आहार के लिए दिये जाते हैं। मरीज की सुविधा के लिए उनके निवास के नजदीक ही डॉट्स केंद्र बनाये गए हैं जिन रोगियों में टीबी के संभावित लक्षण पाए जाते हैं। उनको जिला अस्पताल में स्थापित ड्रग रेजीस्टेंट (डीआर) टीबी सेन्टर में भर्ती कर इलाज शुरू किया जाता है तथा बलगम की जांच के लिए बीएचयू भेजा जाता है। इसके साथ ही टीबी की सभी प्रकार की जांच एवं इलाज मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती हैं। जिले के सभी सरकारी एवं स्वैच्छिक संगठनों के चिकित्सालयों में टीबी की जांच व इलाज की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध करायी जा रही है।
उन्होंने बताया कि टीबी एक संक्रामक रोग है जो आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है। फेफड़ों के अलावा नाखून एवं बाल को छोड़कर शरीर के किसी भी भाग में टीबी हो सकती है। अन्य रोगों के मुकाबले टीबी दुनिया भर में दूसरा सबसे बड़ा जानलेवा रोग है। पूरे विश्व के 27% टीबी रोगी भारत में और भारत में सबसे अधिक टीबी से ग्रसित लोग उत्तर प्रदेश में हैं। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक देश को टीबी से मुक्त करने का संकल्प लिया गया है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एसपी अग्रवाल ने बताया कि पिछले अभियान ( 02 नवम्बर से 11 नवम्बर 2020 तक) में 2,56,336 लोगों की स्क्रीनिंग हुई जिसमें से 1597 व्यक्तियों की जांच हुई, जॉच के बाद 102 टीबी के नये रोगी पाये गये ।
उन्होने बताया कि इस अभियान में तीन सदस्यीय 179 टीमें और 36 सुपरवाइजर लगाये गये है। इनकी समीक्षा ब्लाक एवं जनपद स्तरीय अधिकारियों की देख-रेख में की जा रही है । सरकारी एवं निजी क्षेत्र में इलाज ले रहे टीबी के रोगियों को समान रूप से सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने का प्रयास शत्-प्रतिशत किया जा रहा है। जनपद में जनवरी 2020 से अब तक कुल टीबी के 3,359 नये मरीज पाये गये। पब्लिक (सरकारी) सेक्टर से 1835 और प्राइवेट सेक्टर से 1524 टीबी के मरीज मिले, जिसमे एमडीआर के 187 और एक्सडीआर के 10 मरीज हैं। इनमें से 30 मरीज को बेडाक्यूलीन ट्रीटमेन्ट पर रखा गया है।
डॉ अग्रवाल ने आगे बताया कि दो सप्ताह या उससे अधिक समय से लगातार खाँसी का आना, खाँसी के साथ बलगम का आना, बलगम के साथ खून आना, बुखार आना (विशेष रूप से शाम को बढ़ने वाला), वजन का घटना, भूख कम लगना, सीने में दर्द आदि इसके मुख्य लक्षण हैं। यदि इनमें से कोई भी लक्षण मिलता है तो अपने नजदीकी टीबी केंद्र पर जाकर जाँच करा कर निःशुल्क इलाज का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। ध्यान रहे कि टीबी के मरीज को खांसते व छींकते समय नाक व मुंह को कपडें से ढक कर रखें और इधर-उधर न थूकें जिससे यह अन्य लोगों में न फैले।