मुख्तार अंसारी को रिमांड पर सौंपने की अर्जी खारिज, वीडियो कांफ्रेंसिंग से कोर्ट में हुए पेश

 
जालसाजी कर शस्त्र लाइसेंस के मामले में आरोपी बने मऊ के सदर विधायक मुख्तार अंसारी को एक सप्ताह के लिए पुलिस रिमांड पर दिए जाने की मांग कर विवेचनाधिकारी ने शनिवार को सीजेएम कोर्ट में अर्जी दी।

इस पर सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर विवेचनाधिकारी की मांग को खारिज कर दिया। सीजेएम विनोद शर्मा ने यह आदेश अभियोजन और बचाव पक्ष के अधिवक्ता को सुनने के बाद सुनाया।
दक्षिण टोला थाने में दर्ज जालसाजी कर शस्त्र लाइसेंस जारी करने के मामले में विधायक मुख्तार अंसारी के साथ छह लोगों को नामजद किया गया है। इसकी विवेचना कर रहे उपनिरीक्षक सरफराज ने बीते शनिवार को सीजेएम कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र दिया। इमसें असलहे को बरामद कराने के लिए मुख्तार अंसारी को एक सप्ताह के लिए पुलिस रिमांड पर दिए जाने की मांग की।
विवेचक की अर्जी पर सोमवार को इस मामले पर सुनवाई की गई। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से विधायक मुख्तार अंसारी भी कोर्ट में पेश हुए। सुनवाई के दौरान अभियोजन ने कोर्ट को बताया कि विवेचक उपनिरीक्षक सरफराज अहमद रूपनगर कारागार पहुंचकर सदर विधायक मुख्तार अंसारी का धारा 161 सीआरपीसी के तहत बयान रिकॉर्ड किया। इस दौरान मुख्तार ने उन्हें बंदूक उपलब्ध कराने की बात कही थी।
इस पर बचाव पक्ष के अधिवक्ता दारोगा सिंह ने कोर्ट को बताया की जिस असलहे के बरामदगी की बातकर पुलिस मुख्तार को रिमांड पर लेने की मांग कर रही, वह असलहा वर्ष 2007 से ही गाजीपुर के एक दुकान पर जमा है। इसकी रसीद को उन्होंने कोर्ट में पेश किया। अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने विवेचक की अर्जी को खारिज कर दिया।
आपको बता दें कि गाजीपुर के मरदह थाना क्षेत्र के सिगेंरा गांव निवासी शाह आलम पुत्र अब्दुल रहमान के नाम से दो नली बंदूक का शस्त्र लाइसेंस मुख्तार अंसारी के पैड पर की गई सिफारिश पर बना था। वर्ष 2007 में गाजीपुर में हुई पुलिस मुठभेड़ में शाह आलम मारा गया। चूंकि मुख्तार की सिफारिश पर शाह आलम के असलहे का लाइसेंस मऊ के पते पर जारी हुआ था, इसके चलते पुलिस ने मुख्तार के साथ छह को नामजद कर दक्षिणटोला थाने में रिपोर्ट दर्ज कर मामले की विवेचना कर रही।