मऊ --कोरोना काल में लोगों ने वैक्सीन के महत्व को अहम रूप से जिसके लगाने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा होती है। ऐसे ही बच्चों को रोगों से बचाने के लिये टीकाकरण में प्रयुक्त होने वाली वेक्सीन को कोरोना काल में बचाने की चुनौती रही। जिलाधिकारी अमित सिंह बंसल स्वास्थ्य विभाग की गहनता से समीक्षा कर रहे हैं। इसी तहत उन्होंने सरकारी अस्पतालों में वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क ई-बिन की भी जानकारी लिया जो लॉक डाउन बेहद ही उपयोगी रहा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सतीशचन्द्र सिंह ने बताया कि भारत सरकार की देखरेख में यूएनडीपी द्वारा स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से चलाए जा रहे ई- बिन परियोजना से वैक्सीन की ऑनलाइन निगरानी की जा रही है। कोविड-19 के कारण लाक डाउन में टीकाकरण पर रोक लगाने के कारण वैक्सीन का प्रयोग नहीं किया जा रहा था। इस मोबाइल एप्लीकेशन से सभी कोल्ड चेन में उपलब्ध वैक्सीन ऑनलाइन मॉनिटरिंग हो रही है। ऑनलाइन देख-रेख के लिये वैक्सीन कोल्ड चेन मैनेजर नियुक्त किए गए हैं। इनके माध्यम से टीके की गुणवत्ता की भी निगरानी की जाती है।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ आर के झा ने बताया कि ई-बिन प्रणाली के जरिये वैक्सीन की ऑनलाइन 24*7 निगरानी की जाती है। जिले में कुल 11 कोल्ड चेन पॉइंट संचालित हैं। लाक डाउन में टीकाकरण पर रोक के कारण वैक्सीन का प्रयोग नहीं किया जा रहा था। ई-बिन ऐप के माध्यम से निगरानी कर जनवरी से अब तक कुल 9.8 लाख रुपये कीमत की वैक्सीन को खराब होने से बचाया गया है जिसमें हेपेटाइटिस-बी, पोलियो, डीपीटी, रोटा वायरस, बीसीजी, जेई, पेंटावेलेंट समेत अन्य महंगी वैक्सीन सुरक्षित हैं।
वैक्सीन कोल्ड चेन मैनेजर कामख्या मौर्य ने बताया कि वैक्सीन कोल्ड चैन पॉइंट पर वैक्सीन के स्टाक की मात्रा एवं भंडारण फ्रिज रियल टाइम तापमान की ऑनलाइन निगरानी ई-बिन प्रोग्राम के अंतर्गत मोबाइल ऐप एवं बेब पोर्टल से की जाती है, इसके लिए जिले के प्रत्येक कोल्ड चेन पर रखे आईयलआर में रखे टेंपरेचर लोगर नाम की एक सेंसर युक्त डिवाइस स्थापित की गई है। यह डिवाइस इंटरनेट के माध्यम से वेब पोर्टल से जुड़ी रहती है।

