'संवेदनशील समय और कोरोना महामारी' की गम्भीरता को समझना होगा हमें----
आगे आने वाले ८-१० दिन यदि हम खुद को, अपने परिवार और समाज को कोरोना से बचा ले जांय तो समझिए आधी से ज्यादा लडाई हमने जीत लिया। आने वाले दो दिन में तीसरा चरण प्रारम्भ होगा जिसे सामुदायिक संक्रमण कहते हैं। इस समय अन्तराल में कोरोना एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलता है। इस समय यदि हम परिवार को बचा लें तो जंग जीत सकते हैं।
साहसी बनें पर सिर्फ़ हम ही बुद्धिमान है ऐसा समझने की बेवकूफ़ी मत छोडना होगा ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन, प्रधान मंत्री, भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों आदि सभी बेवकूफ़ नहीं हैं जो स्कूल, कॉलेज, मॉल बन्द करवा रहे है ।
बहुत आवश्यक हो तो बाजार से सामान जरूर लें ,पर शर्ट या जूते एक महीने बाद भी खरीदे जा सकते हैं, रेस्टोरेंट एक महीने बाद जा सकते हैं, समुह साधना, मेल मिलाप एक महीने बाद भी हो सकता है।
यह मैं इसलिए कह रहा हूँ, क्योंकि की स्वयंभू जानकारों को ऐसा करते देखा है । यह बहादुरी नहीं मूर्खता है, ऐसे लोग अब भी गम्भीरता को नहीं समझ रहे हैं । जीम जा रहे हैं, ब्यूटी पार्लर जा रहे हैं , सैलून जा रहे हैं, व्यर्थ की यात्रा कर रहे हैं क्या है यह??
जिसे डर नहीं लगता है वह सीमा पर जाकर जब आक्रांताओं और जवानों के बीच गोलीबारी हो तब जवानों का सुरक्षा कवच बन कर जान दें ।
इस लापरवाही से हम अपने साथ उन अनेक लोगों की जान लेने का प्रयास कर रहे हैं जो देश के लिए या अपने लिए जीना चाहते हैं ।
संवेदनशील अवधि का का खेल समझिए जिसे न समझने से इटली बर्बाद हुआ है ।
आप हम में से कोई भी कोरोना से संक्रमित हुआ तो ऐसा होते ही तुरन्त उसमें बीमारी के कोई लक्षण नहीं होंगे । उसे खुद भी मालूम नहीं होगा कि उसे कोई परेशानी है या वायरस का संक्रमण हो गया है परन्तु उससे अन्य व्यक्ति में संक्रमण हो सकता है । यह संक्रमण होने से 14 दिन बाद तक कभी भी लक्षण आ सकते हैं । इसलिए आप और हम स्वस्थ लगने वाले व्यक्ति के साथ बैठे हो तब भी हो सकता है वह संवेदनशील अवधि में हो ऐसे में हो सकता है हम कोई संक्रमण अपने साथ ले आए और अपने परिवार के सदस्यों या अपने सययोगी, कर्मचारियों को दे आए । यह हमें भी पता तब चलेगा जब बीमारी के लक्षण दिखने लगेंगे ।
मैं किसी पैथी की बुराई नहीं कर रहा हूँ लेकिन कोई कितने ही दावे करे सच यह है कि COVID-19 का इलाज़ नहीं है। जो कह रहा है उसके पास इलाज़ है वह सफ़ेद झूठ बोल रहा है। जिस दिन बीमारी दिखेगी उस दिन उस व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता और वायरस की बीमार करने की क्षमता तथा उसके फेफड़ों, हार्ट, गुर्दे जैसे अंगों का सामर्थ्य तय करेगा कि वह ज़िन्दा बचेगा या नहीं । इसलिए यह दुस्साहस दिखाने वाले लोग अपने ही घर परिवार के लोगों के हत्यारे साबित होंगे जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो गई है ।
घबराने की आवश्यकता नहीं है पर अनावश्यक गोष्ठियां, घूमना, मिलना कुछ दिनों के लिए बन्द कीजिए । केवल ये दूरियां ही बचा सकती है मास्क, ग्लव्ज़, सैनिटाइजर कोई भी सुरक्षात्मक नहीं है सिर्फ़ सहायक हो सकते है । अपनी नहीं भी करते हों पर अपनों की चिंता करनी होगी ।
अभी भी वक़्त है सावधान हो जायें हम सभी। जो लोग इतनी कवायद कर रहे हैं उन सबको बेवकूफ़ मत समझिए वरना भारत में आंकड़ा हज़ारों को भी पार कर जाए तो भी आश्चर्य नहीं होगा।।
सभी प्रकार के आयोजन, परस्पर मेल मिलाप, अनावश्यक यात्रा को कुछ दिनों के लिए रोकना, माननीय प्रधान मंत्री जी की अपील को स्वीकार करना देश के स्वस्थ रहने की प्रार्थनाएँ करना , हम सभी देशवासियों का कर्तव्य है । कोरोना से संगठित हो कर संघर्ष करना है, यही हमारी सच्ची मानव जाति और देश सेवा होगी।

