प्यार/पहले प्यार पर लेख प्रदीप कुमार पाण्डेय द्वारा

पहला प्यार

वर्तमान समय में अक्सर युवाओं मे मुख से यह मेरा पहला प्यार है, पहला प्यार नहीं भुलता है । समझ में नहीं आता है कि वर्तमान युवाओं का यह पहला प्यार है किस बला का नाम और प्यार इनकी नजर में है क्या ???
      प्यार या पहला प्यार क्या- काम वासना की पुर्ती, तेजाब हमला, आत्म हत्या,खुद या अगले को प्रताड़ित करना,अपने माता-पिता के सम्मान से खेल कर उनकी भावनाओं का गला दबाते हुए स्वयं की इच्छा से विवाह कर लेना या किसी को एन-केन-प्रकारेण प्राप्त कर लेना ही प्यार का नाम है ।

              मेरे विचार से तो 'प्यार' पवित्रता,त्याग,तपस्या का रुप है जो किसी को किसी कीमत पर प्राप्त करना न होकर एक दुसरे की खुशी है।
                प्यार की दुहाई देने वाले मित्रों से जानना चाहता हुँ  यदि प्यार किसी युवक/युवती के प्रति लगाव है तो माता पिता का लगाव क्या है ???
               जहाँ तक पहले प्यार का प्यार की बात है तो पहला प्यार माता-पिता का प्यार है जो हमें देखे बिना ही हमारे अस्तित्व में आने के ९ माह पुर्व ही प्रारम्भ कर देते हैं । हमारी प्रारम्भिक शारीरिक क्रिया ही शायद माँ को गर्भ में पैर चलाने से प्रारम्भ होती है तब माँ इस बात की शिकायत नहीं करती कि बच्चे नें लात मारी , बल्कि वह खुश होती है। नौ महिनों की तकलीफ को और प्रसव की असीम वेदना को सहन करके हमें वह जन्म देती है खुश होती है, हमें स्वस्थ देख कर अपनी सारी वेदनाएं भुल बैठती है ।
                 हमारे माता पिता न जानें कितनी रातों की नींद और दिन का चैन खोते हैं हमें शुकुन से सोने व स्वस्थ्य देखते हुए बडा होने के लिए । हमारे बालीक होने तक हमारी आवश्यकताओं और इच्छाओं की पुर्ती के लिए हमारे पिता न जाने अपनें कितनी इच्छाओं और अनिवार्य आवश्यकताओं की हत्या करते हैं कि हम खुश रहें, हमें कोई तकलीफ न हो और हम बड़े होकर इस पहले प्यार को भुल कर न जानें किसे और क्यों पहले प्यार की उपाधि दे बैठते हैं ??






                                                   -प्रदीप कुमार पाण्डेय