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अयोध्या के 9 मुस्लिमों ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सभी सदस्यों को एक पत्र लिखा है। उस पत्र में कहा है कि क्या कब्र पर मंदिर बनाया जाएगा। साथ ही मांग कि है श्री रामलला के गर्भ गृह के निकट स्थित 5 एकड़ जमीन पर मुसलमानों की कब्र थी इसलिए वहां पर राम मंदिर निर्माण न किया जाए। यह अपील मुस्लिम समाज के लोगों ने वकील के जरिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सभी सदस्यों को पत्र के जरिए भेजी है।
अयोध्या. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन हुआ। 19 फरवरी को ट्रस्ट की पहली बैठक होने वाली है। इस बीच अयोध्या के 9 मुस्लिमों ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सभी सदस्यों को एक पत्र लिखा है। उस पत्र में कहा है कि क्या कब्र पर मंदिर बनाया जाएगा। साथ ही मांग कि है श्री रामलला के गर्भ गृह के निकट स्थित 5 एकड़ जमीन पर मुसलमानों की कब्र थी इसलिए वहां पर राम मंदिर निर्माण न किया जाए। यह अपील मुस्लिम समाज के लोगों ने वकील के जरिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सभी सदस्यों को पत्र के जरिए भेजी है।
दरअसल ट्रस्टी को मिले पत्र में कहा गया कि फैजाबाद गैजेटियर में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि बाबरी मस्जिद तीन तरफ से कब्रगाह से गिरी थी। और यह इलाका 'गंज शहीदान' के नाम से जाना जाता था। वर्ष 1855 के युद्ध के बाद 75 मुस्लिमों को इसी 'गंज शहीदान' में दफनाया गया था। वर्ष 1949 में बाबरी मस्जिद में मूर्तियां रखे जाने के बाद यहां दफन किए जाने का काम बंद कर दिया गया। इस जमीन पर धार्मिक रूप से इबादत और मस्जिद निर्माण की मनाही है। रामलला विराजमान मुकदमे में यह भी हिस्सा था। यह इकलौता सूट था, जिसे इलाहाबाद हाई कोर्ट के 3 जजों ने अलाउ किया। वर्ष 1994 में सुप्रीम कोर्ट के इस्माइल फारूकी मुकदमे में विवाद केवल 1480 स्क्वायर यार्ड का बचा था, जो 9 नवंबर 2019 को निर्णीत हुआ। तत्कालीन केंद्र सरकार ने कानून व्यवस्था और सांप्रदायिक सौहार्द के मद्देनजर पूरी जमीन का अयोध्या एक्ट के तहत अधिग्रहण कर लिया था।
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से इसका हवाला देने के बाद कोर्ट ने अधिग्रहण को सही ठहराया था, न कि धार्मिक क्रियाकलाप के लिए दिए जाने को। पत्र में सवाल उठाया गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में के विवादित 1480 स्क्वायर यार्ड जमीन का फैसला किया है बाकी का निर्णय केंद्र सरकार के ऊपर छोड़ दिया। केंद्र सरकार ने अयोध्या एक्ट के तहत गैर विवादित अधिग्रहित जमीन राम मंदिर निर्माण के लिए नवगठित ट्रस्ट को सौंप दी।
मुसलमानों की ओर से सवाल उठाया गया है कि क्या मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का मंदिर कब्रगाह पर बनाया जाएगा? सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एम आर शमशाद के माध्यम से भेजे गए इस पत्र में सद्दाम हुसैन,नदीम, मोहम्मद आजम कादरी, गुलाम मोइनुद्दीन, हाजी अच्छन खान, हाजी मोहम्मद लईक, खालिक अहमद खान, मोहम्मद इमरान और एहसान अली का नाम शामिल है।
इस पर बाबरी पक्षकार हाजी महबूब ने कहा कि मेरे वकील शमशाद के माध्यम से एक पत्र श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को दिया गया है। रामलला के लिए सौंपी जाने वाली जमीनों पर कुछ जगहों पर कब्रिस्तान है। पत्र के माध्यम से हमने दरखास्त रखी है कि कब्रिस्तान छोड़कर के मंदिर बनाएं हमें कोई एतराज नहीं है। पत्र के माध्यम से उनसे आग्रह किया गया है यदि मुनासिब हो तो करें और ना करें तो यह उनका अपना विवेक है।
वही पत्र भेजने वाले मोहम्मद आजम का कहना है कि राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का पुराना मामला था। इस पर फैसला आया और सभी ने इसको मान लिया। वर्ष 1993 में सुरक्षा की दृष्टि से जमीनों का अधिग्रहण हुआ था। यह बात सदन में भी कही गई थी कि फैसला आने के बाद जिनकी जमीनें हैं उनको वापस कर दी जाएगी। फैसला आ चुका है और अब उस जमीन पर मंदिर बनना है। हम नहीं चाहते कि सनातन धर्म के हिंदू भाई श्री रामचंद्र जी का मंदिर ऐसे स्थान पर बनाएं, जिस पर कोई विवाद हो। आने वाले समय में एक विवाद का कारण यह हो। हमने पत्र लिखकर यह मांग की है कि नजूल विभाग में जितने भी कब्रिस्तान दर्ज हैं उन सभी को रिलीज कर दिया जाए। अधिग्रहण में शामिल मंदिरों को रिलीज करने की बात कही गई है उसी तर्ज पर कब्रिस्तान भी हम लोगों को रिलीज कर दिया जाए और हम लोगों को हैंड ओवर कर दिया जाए। यह आग्रह हमने ट्रस्ट के लोगों से किया है श्रीराम का भव्य मंदिर बनने का समय आया है। अब ऐसा कोई काम ना करें आगे जिससे कि कोई उसमें दाग लगे यह आग्रह है।
