मऊ। स्वामी विवेकानंद जयंती समारोह का आयोजन शनिवार को नगर के पुरानी तहसील स्थित आर एस पैलेस के सभागार वैचारिक संगोष्ठी के माध्यम किया गया।
मुख्य वक्ता संयुक्त क्षेत्र उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय संयोजक रामाशीष सिंह जी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद सात समंदर पार अमेरिका गए। शिकागों में विश्व धर्म संसद थी, जब बोलना शुरू किया तो दुनिया सुनती रही, देखती रही एकटक आंखों से 30 साल का वो भारतीय जब वतन लौटा तो उसे दुनिया जान चुकी थी। उनके बचपन के साथी का नाम कमल रेड्डी था। जब वे किशोरवस्था में पहुँचे तो वे ब्राह्मो समाज के संपर्क में आए और अंततः श्री रामकृष्ण से उनकी मुलाकात हुई। इन्हीं श्री रामकृष्ण की वजह से उनकी सोच में बदलाव आया और उनकी मृत्यु के बाद नरेंद्रनाथ ने अपना घर छोड़ दिया। उन्होंने अपना नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद कर लिया और बोरानगर मठ में अपने अन्य शिष्य मित्रों के साथ रहने लगे। बाद में उन्होंने त्रिवेंद्रम पहुँचने तक भारत भर में अपना दौरा किया और आखिरकार वे शिकागो की धर्म की संसद में पहुँचे। वहां उन्होंने एक भाषण को संबोधित किया और दुनिया भर में हिंदू धर्म के लिए प्रशंसा बटोरी।
वे एक महान व्यक्ति थे जिसने मानव जाति और राष्ट्र के उत्थान के लिए बड़े पैमाने पर काम किया था। उन्होंने वर्तमान में देश में चल रहे नागरिकता व सीएए के मुद्दे पर कहा कि कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दल नागरिकता संशोधन अधिनियम पर भ्रम फैला रहे हैं। इसके विरुद्ध लोगों को जागरूक करने के लिए जनसभाओ का आयोजन, रैलियाँ निकालना, हस्ताक्षर अभियान चलाना आदि का कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि अंतरराष्ट्रीय गीता प्रवचन कर्ता अमेरिका स्थित इंटरनेशनल गीता गुरुकुल फाउंडेशन मिशिगन के संस्थापक अध्यक्ष योगी आनन्द जी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के विषय में कहा कि उनको पढ़ कर नहीं उनको जी कर ही जाना जा सकता है। स्वामी जी का चरित्र हमें जीवन जीने की प्रेरणा देता है। वह ऐसे सन्यासी थे जिन्होंने आजीवन परिव्राजक का जीवन व्यतित किया। उनसे जुड़े बहुत से संस्मरण मिलते है।
काल के भाल पर कुंकुम उकेरने वाले वे सिद्धपुरुष हैं। वे नैतिक मूल्यों के विकास एवं युवा चेतना के जागरण हेतु कटिबद्ध, मानवीय मूल्यों के पुनरुत्थान के सजग प्रहरी, अध्यात्म दर्शन और संस्कृति को जीवंतता देने वाली संजीवनी बूटी, वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु हैं। इसमें कोई शक नहीं कि स्वामी विवेकानन्द आज भी अधिकांश युवाओं के आदर्श हैं। अध्यक्षता आयोजन समिति के संरक्षक चन्द्रशेखर अग्रवाल उर्फ चन्दू बाबू ने किया।
स्वागत भाषण में आनन्द कुमार ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। अतिथि परिचय देवेन्द्र मोहन सिंह ने कराया।
संयोजक मिथिलेश कुमार सिंह ने कहा ऐसे राष्ट्र पुरूष के नाम पर आयोजन कर गौरव की अनुभूति होती है।
वन्दे मातरम् का गीत लिटिल फ्लावर स्कूल की छात्राओं ने गाया। अमृत पब्लिक स्कूल के छात्र अभिनव यादव ने स्वामी विवेकानंद के जीवन पर संक्षेप में प्रकाश डाला। अंत में राम स्वरूप भारती इण्टर कालेज की छात्राओं व मंच पर उपस्थित अतिथियों व नागरिकों के राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम के समापन की घोषणा की गयी।
संचालन मानसी अग्रवाल ने किया।
इस अवसर पर डा. गंगा सागर सिंह, डा. सर्वेश पांडेय, अधिवक्ता हरिद्वार राय, डॉ रामगोपाल गुप्ता, डॉ सीपी राय, पवन प्रधान, उत्तम सिंह, देवेंद्र मोहन सिंह, सचिंद्र नाथ सिंह, सुनील कुमार दुबे सोनू , ज्ञान प्रकाश सिंह, कमलेश सिंह, राजा आनंद ज्योति सिंह, योगेन्द्र सिंह, अभिषेक खण्डेलवाल, तुषार कांत सिंह, पंकज तिवारी, बाबू लाल अग्रवाल, संतोष अग्रवाल आदि मौजूद रहे।

