🌸 मेरी ब्रज यात्रा: मथुरा–वृंदावन–गोवर्धन–बरसाना–नंदगाँव | 2 दिन की भक्तिमयी यात्रा | Radhe Radhe |
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🌅 भूमिका — मन की पुकार: “चलो ब्रज चलते हैं”
कभी-कभी मन अचानक किसी ओर खिंचने लगता है।
ना कोई वजह, ना कोई प्लान… बस एक पुकार।
उसी रात मेरे मन में एक आवाज़ गूँजी—
“चल ब्रज चलते हैं… राधे राधे का नाम लेने।”
मेरे और मेरे दोस्त के पास ज्यादा पैसे भी नहीं थे,
लेकिन शायद ब्रज बुला रहा था…
और जो ब्रज बुलाए, वहाँ जाने के लिए सोच नहीं — बस भाव चाहिए।
7 नवंबर की सुबह का फैसला पक्का था —
दिल्ली → मथुरा → वृंदावन → फिर जहाँ मन ले जाए…
⭐ DAY 1 — दिल्ली से मथुरा और पहली दिव्यता का अनुभव
❄️ दिल्ली की ठंड और मथुरा का आह्वान
सुबह-सुबह हम दोनों बिना स्वेटर, काँपते हुए बस में बैठे।
मन में थोड़ा डर—“जाएँ कि ना जाएँ?”
लेकिन ब्रज की हवा जैसे भीतर से ताक़त दे रही थी।
दिल्ली की भीड़ पीछे छूटती गई
और दूर से आती ब्रज की आवाज़—
“राधे राधे…”
दिल को शांत कर रही थी।
मथुरा बाइपास का टिकट — ₹256 —
और लगभग 10–11 बजे हम ब्रज भूमि में थे।
बस से उतरते ही सबसे पहले कानों में वही शब्द—
“राधे राधे! जय श्रीकृष्ण!”
जैसे किसी ने थका हुआ मन एक झटके में साफ कर दिया हो।
🛕 कृष्ण जन्मभूमि — जहाँ हर ईंट इतिहास बोलती है
कृष्ण जन्मभूमि सिर्फ मंदिर नहीं…
यह वह स्थान है जिसे 3,000 वर्ष से भी अधिक पुराना माना जाता है।
यहीं वह कारागार था जहाँ देवकी माँ ने भगवान कृष्ण को जन्म दिया।
हम ₹30 में ऑटो लेकर पहुँचे।
सुबह-सुबह भीड़ कम थी,
और पहली ही झलक में मंदिर की ऊर्जा महसूस होने लगी।
कारागार के दर्शन के दौरान
चारों तरफ भजन, घंटियों की आवाज़,
और लोग बस एक ही शब्द में डूबे—
“Govind Bolo… Hari Gopal Bolo…”
ऐसा लगा जैसे समय ठहर गया हो।
🚶♂️ विश्राम घाट — जहाँ यमुना माँ आज भी शांत खड़ी हैं
मथुरा में दोपहर 1 बजे मंदिर बंद हो जाते हैं,
इसलिए हम विश्राम घाट गए—₹20 ऑटो किराया।
यमुना माँ के किनारे बैठने का सुख अलग ही है।
हल्की धूप, ठंडी हवा, और यमुना का शांत बहाव…
बस मन कुछ देर के लिए दुनिया से कट गया।
यहाँ बंदरों की सेना भी थी,
पर सच कहूँ तो ब्रज में बंदर भी भक्त जैसे लगते हैं—
बस थोड़े शरारती।
विश्राम घाट प्राचीन माना जाता है—
कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने यहीं विश्राम किया था।
🛕 द्वारकाधीश मंदिर — भीड़, भक्ति और रंगों का सागर
द्वारकाधीश मंदिर 19वीं सदी में बना,
और इसकी प्रसिद्धि इसकी रंग-बिरंगी राजस्थानी शैली के कारण है।
जब मंदिर 4 बजे खुला,
भीड़ एकदम उमड़ पड़ी।
अंदर प्रवेश करते ही
मानो ऊर्जा का एक तेज़ झोंका लगा।
भक्ति इतनी गाढ़ी थी कि
आवाजें भी साँस बन गई थीं—
“जय द्वारकाधीश!”
“राधे राधे!”
हमने दर्शन किए,
थोड़ा शहर घूमे,
और फिर वृंदावन की ओर बढ़े।
🚕 मथुरा से वृंदावन — और बढ़ता भक्तिमय रोमांच
₹20 सवारी में ऑटो मिला।
वृंदावन पहुँचकर पैदल मोड़ से बाँके बिहारी मंदिर की ओर चलना पड़ा।
🛕 बाँके बिहारी मंदिर — जहाँ आँखें झपकाने का मन नहीं करता
17वीं सदी में गिरधारी जी के इस रूप की स्थापना हुई थी।
बाँके बिहारी के दरबार की भीड़…
वह पुकार…
और भीतर का कंपन…
जैसे कोई अनकहा संवाद हो रहा हो।
दर्शन मुश्किल से हुए,
भीड़ इतनी कि आगे बढ़ना कठिन…
पर जैसे ही एक पल के लिए
बिहारी जी की झलक मिली—
मन बस पिघल गया।
🌳 निधिवन — रासलीला का रहस्य
निधिवन में कदम रखते ही
हवा का तापमान जैसे बदल जाता है।
यह वही स्थान माना जाता है
जहाँ रासलीला आज भी रात में होती है।
यहाँ के पेड़ों की आकृतियाँ देख
सच में लगा—
ये जगह साधारण नहीं।
लोग भजन कर रहे थे, कोई ध्यान लगा रहा था—
और हवा में राधा नाम की मधुर गूँज थी।
💡 प्रेम मंदिर — जहाँ प्रकाश भी भक्ति का रूप ले लेता है
मंदिर का सफेद संगमरमर,
उस पर पड़ती हजारों रोशनियाँ—
मानो स्वर्ग पृथ्वी पर उतर आया हो।
हम पहुँचते-पहुँचते लाइट शो समाप्त हो चुका था,
पर मंदिर की चमक में भी इतना सौंदर्य था
कि आँखें हटती ही नहीं थीं।
⭐ DAY 2 — चारधाम, गोवर्धन, बरसाना, नंदगाँव
(सबसे रोमांचक दिन!)
🏠 रात का ठिकाना — एक छोटा सा चमत्कार
हमारे मेरठ वाले मित्र आर्यन ने
एक परिचित के घर ठहरने का इंतज़ाम किया।
रैपिडो ₹100 में हम वहाँ पहुँचे।
ब्रज में रात गहरी और शांति से भरी होती है—
ऐसा लगा जैसे पूरा गाँव सोते हुए भी “राधे राधे” बोल रहा हो।
🌄 सुबह 8 बजे — चारधाम मंदिर और वैष्णो देवी गुफा
चारधाम मंदिर,
बहुत ही खूबसूरत, बहुत ही पवित्र स्थान।
वैष्णो देवी की गुफा से गुजरते हुए
एक अद्भुत अनुभूति हुई—
जैसे हर कदम पर आशीर्वाद मिल रहा हो।
🚐 Govardhan — Giriraj Maharaj की गोद में
गोवर्धन वह भूमि है
जहाँ कृष्ण ने 7 दिन तक पर्वत को उँगली पर धारण किया था।
यहाँ की हवा भी भक्तिभाव से भरी लगती है।
हमने दर्शन किए,
परिक्रमा इस बार संभव नहीं हुई
पर Giriraj Ji के चरणों में बैठकर
कुछ देर मन को शांति मिली।
🌸 Barsana — Radha Rani का राजहंस जैसा नगर
बारसाना का इतिहास बताता है
कि यह राधा रानी की जन्मभूमि है।
पहाड़ी के ऊपर स्थित मंदिर तक पहुँचते-पहुँचते
भक्ति और रोमांच दोनों बढ़ते जाते हैं।
भीड़ इतनी थी कि लोग एक-दूसरे पर गिर रहे थे,
फिर भी सबके चेहरे पर मुस्कान—
क्योंकि ऊपर राधा रानी इंतज़ार कर रही थीं।
अंदर पहुँचने में हमें 30 मिनट लगे,
पर जैसे ही दर्शन हुए—
थकान गायब।
प्रसाद में चूड़ियाँ–बिंदियाँ मिलीं,
जो मैंने माता जी को दीं।
🌼 Kirti Mandir — राधा रानी की माताजी का घर
यह मंदिर दोपहर 12 से 4 तक बंद रहता है।
हमने वहीं घाटी में बैठकर
कहानियाँ, यादें, भंडारा—सबका आनंद लिया।
4:30 पर आरती शुरू हुई,
और सूर्यास्त का दृश्य…
बस मन मोह लेने वाला।
🛺 Nandgaon — नंदबाबा का दरबार और अद्भुत दृश्य
नंदगाँव कृष्ण के पालनकर्त्ता नंदबाबा की भूमि है।
पहाड़ी पर स्थित मंदिर से पूरा गाँव
सोने जैसा चमकता दिखाई देता है।
ऊपर हवा ठंडी और ताज़ा थी—
मानो कोई कह रहा हो—
“माखनचोर की भूमि में आपका स्वागत है।”
🛣️ वापसी — ब्रज मन में रह गया
बस उपलब्ध नहीं थी,
तो ₹70 में ऑटो लेकर फरीदाबाद मेट्रो,
वहाँ से हम दिल्ली पहुँचे।
👉 कुल: ₹2,000 – ₹2,200 दो लोग (₹1,000–₹1,100 प्रति व्यक्ति)
🌸 अंतिम भाव — ब्रज आपके भीतर उतर जाता है
मथुरा–वृंदावन केवल स्थान नहीं…
यह एक अनुभव है, एक शुद्धि है, एक स्पर्श है।
ब्रज की मिट्टी में कुछ तो ऐसा है
कि लौटने के बाद भी
मन वहीं अटका रहता है।
राधे राधे 🙏
फिर मिलेंगे ब्रज में… बहुत जल्द।









