ऑनलाइन कारोबार से बाजारों में पसरा सन्नाटा, व्यापारी चिंतित- उमाशंकर ओमर
"संघे शक्ति: युगे युगे।" यानि इस युग में संगठन से ही शक्ति होती है। संगठित शक्ति यानि सबका प्रयास, संकल्प को सिद्धि तक ले जाने का प्रयास उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल कर रहा है। आज प्रत्येक व्यापारी शक्ति सामूहिक रूप में परिवर्तित होकर देश के विकास को नई गति और नई ऊर्जा दे रहा है। यह विचार उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष उमाशंकर ओमर के है वे
मधुबन व्यापार मंडल के अध्यक्ष
गिरजा शंकर मौर्य के प्रतिष्ठान पर व्यापारियों को प्रदेश के सदस्यता अभियान से जोड़ने और सक्रिय एवं जुझारू संगठन के माध्यम से संगठन को मजबूती प्रदान करने का जोश भरते हुए कहा कि संगठन के जरिए व्यापारियों के हितों की रक्षा की जा सकती है। लोकतंत्र में संगठन जितना मजबूत होगा, सामाजिक और व्यापारिक प्रभाव उतना ही महत्वपूर्ण होगा ।यह बात हर व्यापारी को समझनी होगी। सोमवार को मधुबन बाजार में उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष उमाशंकर ओमर ने व्यापारियों में जोश भरते हुए हुंकार भरी। इस दौरान आईटी मंच के प्रदेश महामंत्री आनंद ओमर ने बताया कि पूरे प्रदेश में ऑनलाइन कारोबार का दायरा उत्तरोत्तर रूप से बढ़ता जा रहा है ।ऑनलाइन कारोबार पर अंकुश लगाए जाने की मांग व्यापार मंडल की ओर से लगातार उठाई जा रही है। बाजार में इलेक्ट्रॉनिक, रेडीमेड कपड़े, दवाइयां , जूते चप्पल, मोबाइल, घड़ी बाइक ई साइकिल आदि का कारोबार 50% से ज्यादा प्रभावित हो चुका है। सरकार ने ठोस रणनीति तैयार कर काम नहीं किया तो बाजार में कारोबार पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। ऑनलाइन कारोबार की वजह से बाजार में सन्नाटा छाया हुआ है। व्यापारी अपने प्रतिष्ठान में बैठकर चिंतित है।
बैठक में सर्वसम्मति से मधुबन बाजार व्यापार मंडल का पुनर्गठन किया गया।
जिसमें संरक्षक ईश्वर चंद्र गुप्ता ,अध्यक्ष गिरजा शंकर मौर्य, उपाध्यक्ष अरुण कुमार जायसवाल ,श्री चंद्रगुप्त, नियम अहमद अनिल कुमार बरनवाल तथा धीरज माल को बनाया गया। महामंत्री राहुल गुप्ता, कोषाध्यक्ष सोनू मद्धेशिया, मंत्री हिमांशु जायसवाल, सिद्धार्थ मद्धेशिया मातादीन गुप्ता, मनीष गुप्ता, अजय मद्धेशिया को बनाया गया। संगठन मंत्री आशुतोष कुमार मल्ल, हुकुमचंद गुप्ता , प्रचार मंत्री धर्मचंद, सह कोषाध्यक्ष रवि महाजन, तथा आर्य व्यय निरीक्षक राजकुमार मौर्य को बनाया गया। बाजार के सभी व्यापारियों को व्यापार मंडल का सदस्य बना करके उसकी रसीद उन्हें सौंप दी गई।