पालिका के मीटिंग हाल में काब्य संग्रह ‘‘तमसील-ए-इदराक’’ पुस्तक का विमोचन समारोह सम्पन्न

 
मऊनाथ भंजन। नगार पालिका परिषद के मीटिंग हाल में ''बज़म-ए-दबिस्तान-ए-सोखन'' के तत्वावधान में उर्दू भाष के युवा कवि इमरान सागर द्वारा रचित पद्य संग्रह ''तमसील-ए-इदराक'' पुस्तक का विमोचन समारोह सम्पन्न हुआ। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पालिकाध्यक्ष अरशद जमाल ने पुस्तक का विमोचन किया। इस समारोह का संचालन मदरसा दारूल हदीस के अध्यापक दाशि असरी ने किया तथा अध्यक्षता राष्ट्रीय सहारा उर्दू दैनिक के पूर्व जिला ब्यूरोचीफ अमीर हमज़ा आज़मी ने किया।
इस अवसर पर ''तमसील-ए-इदराक'' पुस्तक के रचयिता इमरान सागर ने बताया कि मेरी शायरी का सफर पढ़ाई के समय से ही 2006 में आरम्भ हो गया था। उन्होंने बताया कि मैंने मदरसा मिफ्ताहुल ओलूम से मुंशी किया। इसके उपरान्त ''आलिम'' तक की पढ़ाई प्रइवेट रूप में पूरी की। इसके उपरान्त मेरी पहली रचना ''तमहीद-ए-तमन्ना'' का विमोचन भी यहीं पालिका के मीटिंग हाल में 10 अगस्त 2016 को हुआ था। यह मेरे लिये स्वभाग्य की बात है कि मेरी दूसरी रचना का विमोचन भी नगर पालिका में ही पालिका अध्यक्ष अरशद जमाल के हाथों सम्पन्न हो रहा है। उन्होंने अपने लिये इस सम्मान के प्रति पालिकाध्यक्ष, अमीर हमजा आजमी, बज़म-ए-दबिस्तान-ए-सोखन के समस्त सदस्यों के साथ उपस्थित अन्य सभी मेहमानों का आभार व्यक्त किया।
विमोचन के अवसर पर पालिकाध्यक्ष ने अपने सम्बोधन में कहा कि विमोचत होने वाली पुस्तक ''तमसील-ए-इदराक'' के रचयिता समय से पहले ही साहित्य में परिपक्व हो गये हैं। उन्होंने अचरज से कहा कि इनके पहली पुस्तक के विमोचन के अवसर पर भी मैं उपस्थित था और उस समय भी साहित्य के क्षेत्र में इनके द्वारा किये गये अद्वितीय कार्य को कुछ इसी अंदाज में सराहा था। उन्होंने बताया कि इनकी दूसरी रचना ''तमसील-ए-इदराक'' में गजल, नात, हम्द, मुल्क के हालात के साथ अन्य पहलुओं पर भी प्रकाश डाला गया है। इतने ज्यादा शीर्षकों को शामिल कर उसे शब्दों में बयान करना और लिखना अत्यन्त कठिन काम होता है। सागर साहब को बधाई देते हुये कहा कि शायरी में लफ्जों से खेलना कोई आसान काम नहीं होता। ये बड़े कमाल की बात है। कहा कि मऊ में बेहतरीन शायरों की कमी नहीं है लेकिन गद्य में भी ऐसे निपुण लोगों को पैदा करने की आवश्यकता है। अदब की इस जमीन में कुछ और अदबी फूल कैसे खिलाये जायें एवं इस फन में माहिर लोगों को कैसे आगे लाया जाये इस प्रक्रिया में मेरा क्या सहयोग हो सकता है यह आपको तय करना है। उसे मूर्त रूप देने एवं साहित्य को परवान चढ़ाने में मैं हर सम्भव प्रयास करूँगा।
विमोचन समारोह की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय सहारा उर्दू दैनिक के पूर्व जिला ब्यूरोचीफ अमीर हमज़ा आज़मी ने कहा कि शायरी एवं नस्रनेगारी (पद्य एवं गद्य रचना) दोनों के सम्बन्ध में चेयरनैन साहब ने हमें एक तहरीक (आनदालन) दे दिया कि इस क्षेत्र में हमारी वास्तविक जिम्म्मदारियां क्या हैं जिन्हें पूरा कर हम उर्दू साहित्य के क्षेत्र में दक्ष लोगों को पैदा कर उन्हें आगे बढ़ा सकें। श्री आजमी ने समाज को शायरी के माध्यम से एक जुट करने एवं जीवन में समर्पण को अहमियत देते हुये अपने स्तर से लक्ष्य निर्धारित करने एवं स्वयं में उसे पाने की ललक पैदा करने पर जोर दिया।
इस विमोचन समारोह में ''बज़म-ए-दबिस्तान-ए-सोखन'' के सेक्रेट्री-फैसल अजीज, विशिष्ट सदस्य-मुहम्मद अजमल, महफूज जमाली, शाहिद अनवर, मुजाहिदुल इस्लाम, जुल्फेकार अली लड्डृ, साजिद गुफरान, मोलवी हम्माद, सईदुल्लाह शाद, मंजूरूल हसन नाजिर, फैजान अहमद, इस्माईल, इकबाल, मु0 हामिद, मु0 अजमल, शाहिद गौहर, शहाब नोमानी, जावेद कलीम जेके मुशयरा, तारिक नसीबा आदि शामिल रहे।