इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा है कि एक महिला दुष्कर्म नहीं कर सकती किंतु यदि वह यौन अपराध में सहयोग करती है तो उसे भी सामूहिक दुष्कर्म के केस में आरोपी बनाया जाएगा। यदि वह यौनाचार के अपराध की दोषी होगी तो उसे 20 साल से लेकर उम्रकैद की सजा की हो सकती है। कोर्ट ने कहा, 'यह कहना सही नहीं है कि महिला यौन अपराध नहीं कर सकती इसलिए उसे यौन अपराध केस में अभियोजित नहीं किया जा सकता।कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की नजीरों के हवाले से कहा कि यौन अपराध में यदि महिला सहयोगी है तो वह भी अन्य अभियुक्तों की तरह अपराध की दोषी होगी। हाई कोर्ट ने धारा 319 दंड प्रक्रिया संहिता की शक्ति का इस्तेमाल करते हुए अधीनस्थ अदालत द्वारा महिला याची को जारी समन आदेश पर हस्तक्षेप करने से इन्कार करते हुए याचिका खारिज कर दी है। यह निर्णय न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने सुनीता पांडेय की धारा 482 के तहत दाखिल याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि 15 साल की लड़की के अपहरण की प्राथमिकी कोतवाली बांसी, सिद्धार्थ नगर में 28 जुलाई 2015 को दर्ज कराई गई
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महिला दुष्कर्म नहीं कर सकती लेकिन अपराध में सहयोगी होने पर बनाई जाएगी आरोपी: इलाहाबाद हाईकोर्ट
