शारदा नारायन एनीमिया फाउंडेशन ने विश्व हिमोफीलिया दिवस के अवसर पर आयोजित किया जन जागरूकता कार्यक्रम

हीमोफीलिया खून से जुड़ी समस्या है जो जेनेटिक होती है. हर साल 17 अप्रैल का दिन इस समस्या को समर्पित है. वर्ल्ड हीमोफीलिया डे यानी विश्व हिमोफीलिया दिवस को मनाने का मकसद लोगों को इस खतरनाक समस्या के बारे में जागरूक करना है. जब शरीर में कुछ खास प्रोटीन्स की कमी हो जाती है तब ये समस्या होती है. ऐसे में इसके कारण, लक्षण और उपचार के बारे में पता होना जरूरी है। इसी सिलसिले में शारदा नारायन एनीमिया फाउंडेशन के तत्वाधान में विश्व हिमोफीलिया दिवस के अवसर पर एक जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर शारदा नारायन एनीमिया फाउंडेशन के अध्यछ डॉ संजय सिंह ने कहा की इस बार विश्व हीमोफीलिया दिवस की थीम 'एडाप्टिंग टू चेंज' (Adapting To Change) रखी गई है। इसे मनाने का मकसद यही है कि लोग इस बीमारी के बारे में जानें और इसके प्रति जागरूक (Aware) हों। दरअसल, यह एक तरह का डिसऑर्डर है, जिससे खासतौर पर हमारे शरीर का खून प्रभावित होता है. हीमोफीलिया से पीड़ित व्‍यक्ति को जब भी अंदरूनी या बाहरी चोट लगती है, तो उसका खून बहना रुकता नहीं. यानी खून लगातार बहता रहता है और बहता हुआ रक्त जम नहीं पाता। यही स्थिति हीमोफीलिया है। इससे कई बार लोगों के लिए गंभीर खतरा पैदा हो जाता है। आगे डॉ सिंह ने लोगो से अपील की अगर आपको ऐसा कोई लक्षण दिखे तो तुरंत चिकिस्तक से संपर्क करे और अगर आपके आस पास ऐसे कोई भी मरीज़ दिखे तो उन्हें इस बीमारी के बारे में अवगत कराये और चिकित्सीय परामर्श लेने की सलाह दे। आप और हमलोग मिलकर ही किसी बीमारी से लड़ सकते है ।