मऊ --प्रेम ही भगवान की सबसे बड़ी पूजा है- रविंद्र महाराज


स्वामी रविंद्र जी महाराज द्वारा निजामुद्दीन पुरा मऊ में भागवत कथा में पांचवे दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप का वर्णन करते हुए बताया कि बाल्यावस्था से भगवान कृष्ण ने विविध रूपों में अपने लीला की और पूरे समाज को बता दिया कि, है प्रेम जगत में सार और कुछ सार नहीं। अहंकार रूपी जान रहेगा जब तक रहेगा ईश्वर का सानिध्य नहीं मिल सकता जिस दिन अहंकार रूपी दंड का परित्याग कर देंगे उसी दिन भगवान का दर्शन प्राप्त हो जाएगा। भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी के विवाह को विस्तृत रूप से बताया जहां केवल प्रेम की प्रधानता थी। भक्त भगवान से भी बड़े होते हैं जीवन को जो बदल दे वही कथा है और प्रेम ही भगवान की सबसे बड़ी पूजा है आज की कथा में मुख्य रूप से यजमान ऋषिकेश पांडेय राजकुमार पांडेय अंजनी कुमार पांडेय चंद्र प्रकाश तिवारी रामबदन चंद्रकेश नाथ दुबे दयाशंकर मिश्र राम शकल चौहान तेज बहादुर से श्री गोपाल विष्णु बरनवाल कृष्ण कुमार गुप्त बाबूराम यादव अनिल पांडेय संजय पांडेय अनुराग संजय सिंह शैल चतुर्वेदी दुर्गावती मिश्रा अनुज सिंह विशाल पांडे संजय उपाध्याय राकेश मिश्रा घनश्याम दुबे एवं महिला प्रकोष्ठ से श्रीमती मीरा पांडेय लल्ली पांडेय प्रेमा पांडेय विभा सिंह शशि पांडे संगीता सिंह सरोज पांडे एवं आशा मिश्रा श्रीमती गीता । आज के अवसर पर अपार भीड़ थी पता के आचार्य के रूप में सुनील मिश्र जी वाद्य यंत्र पर सूर्या मिश्रा पैड अनुज जी ढोलक पवन पवन मिश्रा आर्गन और बैजू।
कथा की रोचकता को संगीतमय बनाया