उ.प्र. विद्युत नियामक आयोग में लगातार दूसरे साल राज्य के बिजली उपभोक्ताओं के हक में फैसला सुनाया है। विभिन्न श्रेणियों के उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कोई इजाफा नहीं होगा। बिजली कंपनियों के स्लैब परिवर्तन और रेगुलेटरी असेट के प्रस्ताव को आयोग ने खारिज कर दिया है। बिजली कंपनियों द्वारा प्रस्तावित सालाना खर्चे में 9938 करोड़ रुपये की कटौती की गई है।
नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह, सदस्य वीके श्रीवास्तव व केके शर्मा ने कई चक्र की सुनवाई के बाद गुरुवार को बिजली कंपनियों द्वारा वर्ष 2021-22 के लिए दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यक्ता (एआरआर) के साथ ही स्लैब परिवर्तन और रेगुलेटरी असेट पर अपना फैसला सुनाया। आयोग ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया है कि बिजली दरों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा वर्तमान दरें ही लागू रहेंगी। किसानों के ट्यूबवेल कनेक्शन पर मीटर लगाने के प्रस्ताव को आयोग ने माना लेकिन इन कनेक्शनों पर किसानों से अनमीटर्ड टैरिफ 170 रुपये प्रति हार्सपावर के पुराने दर पर ही वसूली की जा सकेगी।
*रेगुलेटरी असेट का प्रस्ताव खारिज कर उपभोक्ताओं को दी राहत*
मध्यांचल, पूर्वांचल, दक्षिणांचल, पश्चिमांचल तथा केस्को बिजली कंपनी द्वारा उपभोक्ता परिषद द्वारा दाखिल कोविड राहत टैरिफ प्रस्ताव को रोकने के लिए बाद में रेगुलेटरी सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव नियामक आयोग में दाखिल किया था। रेगुलेटरी असेट के रूप में उपभोक्ताओं से 49827 करोड़ रुपये दिलाने के इस प्रस्ताव को आयोग ने सिरे से खारिज किया है। जिससे बिजली बिल में होने वाली 10 से 12 फीसदी की वृद्धि नहीं हो सकी।
*बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का निकला 1059 करोड़ रुपये*
आयोग ने पांचों बिजली कंपनियों द्वारा ट्रूअप में निकाले गए 8892 करोड़ रुपये के गैप में कटौती की है। जिससे नियमों की परिधि में राज्य के उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर करीब 672 करोड़ रुपये सरप्लस निकला है। 2021-22 के एआरआर में बिजली कंपनियों ने 9663 करोड़ रुपये का गैप दिखाया था इस गैप को भी आयोग ने बहुत कम कर दिया है। गैप कम होने से इस मद में भी उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 387 करोड़ रुपये सरप्लस निकला है। ट्रूअप और एआरआर गैप कम होने से बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का करीब 1059 करोड़ रुपये निकला। पहले का 19537 करोड़ तथा अब निकले 1059 करोड़ को जोड़ने के बाद अब बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 20596 करोड़ रुपये सरप्लस हो गया है।
*बिजली कंपनियों द्वारा प्रस्तावित सालाना खर्चे में 9938 करोड़ की कटौती*
बिजली कंपनियों द्वारा 2021-22 के सालाना खर्च (एआरआर) के मद में 81901 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया गया था जिसमें से आयोग ने 71963 करोड़ रुपये ही अनुमोदित किया। इस मद में बिजली कंपनियों के खर्चे को आयोग ने 9938 करोड़ रुपये कम किया है।
*प्रस्तावित वितरण हानियों में पांच फीसदी कमी*
वितरण हानियां 16.08 फीसदी प्रस्तावित किया गया था जिसके सापेक्ष आयोग ने कुल 11.08 फीसदी ही अनुमोदित किया है। इसके साथ ही बिजली कंपनियों द्वारा स्मार्ट मीटर पर आने वाले खर्च को उपभोक्ताओं से वसूलने के प्रस्ताव को भी आयोग ने खारिज किया है।
*बिजली दरें कम करने के लिए परिषद दाखिल करेगा पुनर्विचार याचिका*
उ.प्र. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बिजली दरों में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किए जाने पर आयोग के चेयरमैन को बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि बिजली कंपनियों पर अब उपभोक्ताओं के निकल रहे 20596 करोड़ रुपये उपभोक्ताओं को दिलाने की लड़ाई लड़ी जाएगी। इसकी वापसी के लिए बिजली दरें कम करने के लिए पुनर्विचार याचिका आयोग में जल्द दाखिल किया जाएगा। कोरोना महामारी से परेशान उपभोक्ताओं को बिजली दरें कम करने की अपील की जाएगी। प्रदेश सरकार से भी बिजली दरें कम किए जाने के मुद्दे पर बातचीत की जाएगी।