वेदांता हासिल की उपाधि लेकर के आये वरिष्ठ सर्जन युवा डॉ प्रतीक कुमार गुप्ता ने बताया कि गर्दन में सामान्यतः प्रोलेप्स की समस्या बहुत अधिक होती है। विशेष रुप से C5 c6 इंटर्वर्टेब्रल डिस्क के दब जाने के कारण रोगी में यह समस्या उत्पन्न होती है उसके पैरों में झुनझुनी के साथ-साथ दाएं हाथ व कंधों में तीव्र दर्द होता है जो असहनीय होता है सामान्यतः चिकित्सक इसे पेन किलर दर्द निवारक दे कर के सामयिक समाधान कर देते हैं जबकि वास्तविकता है यह है कि इस रोग की चिकित्सा मात्र सर्जरी ही है ।सर्जरी के ही दौरान इंटीरियर सर्वाइकल का ऑपरेशन किया जाता है । जीरो प्रोफाइल पर सर्वाइकल को फिक्स कर दिया जाता है।इस कार्य को केवल कुशल न्यूरो सर्जन ही अंजाम दे सकता है। इस सर्जरी के पश्चात रोगी को आजीवन इस रोग से फिर ग्रसित नहीं हो पाता ।डॉक्टर गुप्त ने बताया कि पिछले दिनों मऊ जनपद में इस प्रकार की एक रोगी की चिकित्सा सर्जरी उनके हाथों से किया गया जो आज पूरी तरह से स्वस्थ हो करके अपने घर को हंसते और मुस्कुराते हुए तथा अपने आशीर्वाद से अभिसिंचित करते हुए गया।
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डिस्क प्रोलेप्स होने के कारण मनुष्य की गर्दन से लेकर दाएं हाथ में तीव्र दर्द होता है और उसके साथ साथ पैरों में झुंनझुनी की समस्या भी व्याप्त हो जाती है