जिला प्रशासन के सानिध्य में पर्यावरण एवं वन विभाग के सहयोग से शुरूआत समिति के माध्यम से द्वितीय मऊ पुस्तक मेले समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करते हुए जिलाधिकारी मऊ ने कहा कि यह पुस्तक मेले का समापन नहीं बल्कि सांस्कृतिक उत्सव का आरंभ है। उन्होंने कहा कि मेले में प्रतिदिन भागीदारी करने वाले विद्यार्थियों और शिक्षकों को पर्यावरण साहित्य से पुरस्कृत करने का उद््देश्य पर्यावरण शिक्षा को समाज के सभी वर्गो तक पहुंचाना है।
अध्यक्षत करते हुए डी एफ ओ मऊ श्री संजय विश्वाल ने कहा कि आज का थीम जीवन के रंग प्रकृति के संग पर्यावरण शिक्षा के प्रवाह को ज्ञान के मंदिरों तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण अंक प्राप्ति का विषय नहीं जीवन जीने का संस्कार है।
डी सी एस के डीग्री कालेज की प्रोफेसर डा. रूचिका मिश्रा ने कहा कि धरती हमारी मां है जो हमारी सभी जरूरतों को पूरा करती है। उन्होंने कहा कि गांधी जी ने कहा है कि धरती सभी की जरूरतों को पूरा कर सकती है परन्तु उसके लालच को नहीं। इसलिए हमें प्रकृति का संरक्षण करना चाहिए।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय माॅस कॅम्यूनिकेशन डिपार्टमेंन्ट के प्रोफेसर डा. धनंजय चोपड़ा ने कहा कि डिजीटल दुनिया में किताबों की स्पेेस खत्म नहीं होगी। उन्होने कहा कि किताबे सपने दिखाती है संवाद करती है। और सृजन से जोड़ती है।
मेले के संयोजक व संस्कृतिकर्मी राजीवरंजन ने कहा कि किताबें नवनिर्माण करती है। बिन पानी सब सून थीम जलवायु परिवर्तन के दौर में विमर्श की मांग करता है। उन्होंने कहा कि मऊ पुस्तक मेला भवानी प्रसाद मिश्र और अनुपम मिश्र की स्मृृति को समर्पित है।
प्राचार्य डी सी एस के डा. ए के मिश्रा ने कहा कि पुस्तक मेला हर वर्ष लगता रहेगा इस विश्वास के साथ हम प्रकाशकों को बिदा कर रहे हैं।
हरिहर पुर घराने के पंडित मोहन मिश्रा और शितला प्रसाद मिश्रा के साथियों ने जीवन के रंग प्रकृति के संग थीम पर सोहर, कजरी, फाॅग जैसी विधाओं की मार्मिक प्रस्तुति की। मेले के समन्वयक विकल्प रंजन ने कहा कि पूर्वांचल के युवा लोक राग के धूनों को जीने वाला युवा समाज है। शुरूआत समिति की सचिव रीता रंजन ने कहा कि मऊ पुस्तक मेले में प्रकाशक प्रसन्न् होकर जा रहे है । इस अवसर पर डा सी पी राय, डा. सर्वेश पाण्डेय, जिला विद्यालय निरीक्षक डा. आर पी यादव, बेसिक शिक्षा अधिकारी अशोक गौतम विशेष रूप से उपस्थिति हैं। ं