24 वर्ष पूर्व संपत्ति विवाद को लेकर हुई थी हत्या, कोई गवाही ना दे इस लिए दिखाया था गांव भर को खौफ
मऊ. यूपी के मऊ जिले के सरायलखंसी थाना क्षेत्र के रैकवारेडीह गांव में लगभग 24 वर्ष पूर्व सम्पत्ति विवाद को लेकर दुबरी पांडेय की गला काट कर निर्मम हत्या कर दिया गया था। इस मामलें में आरोपित अधिवक्ता राकेश पांडेय व उनके साले यशवंत चौबे को हत्या व सबूत छिपाने सहित अऩ्य आरोपों में न्यायालय ने मंगलवार को दोषी करार दे दिया। साथ ही दोनों आरोपितों को फांसी की सजा सुनाया।
बतादें कि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर एक आदिल आफताब अहमद ने इस चर्चित हत्याकांड में मंगलवार को अपना फैसला सुनाया। इस मामलें में अधिवक्ता वादी अखिलेश कुमार पांडेय की मृत्यु हो चुकी है। वहीं मामले के प्रमुख आरोपित अधिवक्ता राकेश पांडेय है। मामला 12 मार्च 1996 के दोपहर 12 बजे रैकवारेडीह गांव हैं। जहां पर वादी मुकदमा अपने बाबा दुबारी पांडेय के साथ गेहूं के खेत की सिंचाई करके लौट रहे थे कि पहले से खेत में छिपे आरोपित इन्द्रासन पांडेय, राकेश पांडेय, मिथेलेश ऊर्फ दीपू व घनश्याम पांडेय निवासी रैकवारडीह तथा यशवंत चौबे निवासी बरवां थाना रानीपुर उसके बाबा को पकङ लिए, साथ ही उन्हे पटक कर राकेश पांडेय ने दाव से गर्दन व हाथ का अंगूठा काट कर अलग कर दिया।
इसके बाद मृतक की गर्दन हाथ में लेकर आरोपित सबको आतंकित किए कि कोई गवाही न करें और दोनों अंगूठा भी लेकर चले गये। सबूत मिटाने के लिए आरोपित मृतक के सिर को तालाब में फेंक दिया था। जहां से पुलिस ने बरामद कर लिया था।
बताते चले कि आरोपी इन्द्रासन पांडेय व घनश्याम पांडेय की मृत्यु हो चुकी है। उनका मामला अवेट हो गया। आरोपित मिथलेश को नाबालिग घोषित कर विचारण किशोर बोर्ड को भेजा जा चुका है। इस हत्याकांड की अभियोजन की तरफ से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अजय कुमार सिहं ने कुल नौ गवाहों को आदालत में परीक्षित कराकर अभियोजन कथानक को संदेह से परे साबित कराया। जिसके बाद आरोपित अधिवक्ता राकेश पांडेय व उनके साले यशवंत चौबे को फांसी की सजा सुनाया गया।