ऋषिबोधोत्सव पर आर्यसमाज ने निकाली शोभायात्रा- Aryasamaj mau

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 महाशिवरात्रि के दिन आर्यसमाज के संस्थापक, महान समाज सुधारक एवं स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत महर्षि दयानंद सरस्वती के बचपन का नाम मूल शंकर था।  बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति होने के कारण वहां सच्चे शिव की तलाश में  थे लेकिन इन्हें सच्चे शिव के दर्शन नहीं हुए इनके जीवन की एक घटना आती है आज ही के दिन महाशिवरात्रि पर्व पर इन्हें बोध हुआ कि सच्चा शिव इस मंदिर में नही है। इसके बाद उन्होंने घूम घूम कर अनेक सन्यासियों एवं विद्वानों से मिले अंत में उन्हें गुरु विरजानंद सरस्वती जी ने वेद शास्त्रों का अध्ययन कराया। इसलिए महाशिवरात्रि पर्व पर सभी आर्य समाजों में ऋषिबोधोत्सव के नाम से मनाया जाता है। इसी क्रम में मऊ आर्य समाज ने भी इस उत्सव पर भव्य शोभायात्रा मऊ आर्य समाज मंदिर से रेलवे फाटक तक निकाली गई।
जिसमें जिसमें डीएवी इंटर कॉलेज बालक-बालिका एवं दयानंद बाल विद्या मंदिर एवं डीएवी रामपुर चकिया स्कूल के बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं एवं उनके गुरु जन भी सम्मिलित थे इस शोभायात्राू में सबसे आगे आगे आर्य समाज के पदाधिकारी गण एवं सदस्यगण चल रहे थे उनके पीछे दयानंद बाल विद्या मंदिर के बच्चे, उसके पश्चात डीएवी इंटर कॉलेज  के बालक बालिकाएं तत्पश्चात रामपुर चकिया के बच्चे हाथों में  ओम की पताकायें एवं बैनरों के साथ के साथ सुसज्जित चल रहे थे। इनके मध्य में दयानंद बाल विद्या मंदिर के बच्चों द्वारा बैंड भी मधुर ध्वनि के साथ बज रहा था। ऋषिबोधोत्सव एवं वार्षिकोत्सव का कार्यक्रम 22 फरवरी प्रातः से 24 फरवरी रात्रि तक चलेगा। इन कार्यक्रमों में सुबह-शाम 7 बजे से 9:30 तक यज्ञ भजन एवं प्रवचन के कार्यक्रम बाहर से आये हुए विद्वानों द्वारा चलेंगे। इस शोभा यात्रा को नगर वासियों ने जगह-जगह सम्मानित किया। इस शोभायात्रा का संचालन आर्य समाज के संयोजक श्री  आर्य एवं सह संयोजक प्रशांत रत्नम सिंह एवं अशोक आर्य के साथ-साथ आर्य समाज के पुरोहित , भी थे।       बाइट--अजय आर्य  ( संयोजक )