उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीटों पर हुए उपुचनाव में समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। भाजपा ने यह दोनों सीटें जीतकर सपा के गढ़ में कमल खिला दिया है। रामपुर में भाजपा प्रत्याशी घनश्याम लोधी ने सपा प्रत्याशी आसिम रजा को 42,192 वोटों से हराया जबकि आजमगढ़ में बीजेपी प्रत्याशी दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को 11,212 वोटों से जीत मिली है। यहां दूसरे नंबर पर सपा प्रत्याशी व अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव रहे। 2019 में यह दोनों सीटें समाजवादी पार्टी के पास ही थीं, लेकिन 2022 में विधायक चुने जाने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आजमगढ़ और आजम खान ने रामपुर लोकसभा सीटें छोड़ी थीं।
रामपुर में नहीं चला आजम का इमोशनल कार्ड
रामपुर लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी से ज्यादा साख आजम खान की लगी थी। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने जमकर मुस्लिम और इमोशनल कार्ड खेला। अपने खिलाफ हुए मुकदमों से लेकर नवाब खानदान तक को घसीटा। आखिर में यहां तक कह दिया कि हरवाकर मेरे मुंह पर कालिख मत पोत देना। बावजूद इसके जनता ने सपा को नकार दिया। अब बीजेपी की जीत को वह मतदान में धांधली का नतीजा बता रहे हैं। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता हरीश श्रीवास्तव ने कहा कि यह जीत इस बात को साबित करती है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रदेश की सभी 80 सीटों को जीतने जा रही है।
रामपुर की तरह आजमगढ़ भी सपा मजबूत गढ़ माना जाता है। 2014 में मुलायम और 2019 में अखिलेश यादव यहां से सांसदी जीत चुके हैं। इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में यहां बीजेपी का सूपड़ा साफ करते हुए सपा ने सभी 10 सीटें जीत ली थीं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि संसदीय क्षेत्र से अखिलेश की दूरी, चुनाव में बाहरी का मुद्दा, बसपा का मजबूत कैंडिडेट और भाजपा के बूथ प्रबंधन की वजह से सपा को गढ़ में हार का सामना करना पड़ा है।
लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी की यह जीत सरकार की नीतियों व सुशासन पर मुहर है। जनता ने परिवारवाद को पूरी तरह से नकारते हुए 2024 का स्पष्ट संदेश दे दिया है।