द्वितीय विश्व ध्यान दिवस के अवसर पर वैदिक योगशाला, पारा में एक विशेष ध्यान सत्र का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बच्चों एवं युवाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और ध्यान के माध्यम से मानसिक शांति, एकाग्रता एवं आत्म-नियंत्रण का अनुभव किया।
इस अवसर पर योग प्रशिक्षक राजन वैदिक ने उपस्थित साधकों को ध्यान का महत्व समझाते हुए कहा कि आज के तनावपूर्ण जीवन में ध्यान न केवल मानसिक संतुलन बनाए रखने का माध्यम है, बल्कि यह व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास में भी सहायक है। नियमित ध्यान अभ्यास से स्मरण शक्ति बढ़ती है, भावनात्मक स्थिरता आती है और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।
कार्यक्रम के दौरान साधकों को प्राणायाम, ध्यान की प्रारंभिक विधियां तथा मौन साधना का अभ्यास कराया गया। बच्चों ने पूर्ण अनुशासन एवं श्रद्धा के साथ ध्यान सत्र में सहभागिता की।
राजन वैदिक ने महर्षि पतंजलि द्वारा रचित अष्टांग योग के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अष्टांग योग केवल व्यायाम नहीं, बल्कि सम्पूर्ण जीवन पद्धति है। इसके नियमित अभ्यास से व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ, मानसिक रूप से शांत, नैतिक रूप से सशक्त और आध्यात्मिक रूप से जागरूक बनता है। अंत में योग प्रशिक्षक राजन वैदिक ने सभी से आह्वान किया कि वे ध्यान को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं और स्वस्थ, संतुलित एवं सकारात्मक जीवन की ओर अग्रसर हों।
