मऊनाथ भंजन। बीती रात नगर पालिका परिषद के मीटिंग हाल में शहर मऊ की मशहूर अदबी व नसरी संस्था 'अदबिस्तान' के तत्वावधान में कोहना़-मश़्क़ और उस्ताद शायर मुश्ताक़ शबनम (मरहूम) के काव्य संग्रह 'तलाश-ए-शहर निगाराँ' का विमोचन नगर पालिका परिषद के चेयरमैन अरशद जमाल के हाथों सम्पन्न हुआ। उक्त पुस्तक के विमोचन समारोह के अवसर पर पालिकाध्यक्ष अरशद जमाल ने मुश्ताक शबनम के नाम पर मरणोपरांत 'फजा इब्ने फैजी अवार्ड' उनके सुपुत्र साजिद आफ़ाक़ को प्रदान किया।
मुख्या अतिथि के रूप में चेयरमैन नगर पालिका अरशद जमाल मौजूद रहे और विशिष्ट अतिथियों के रूप में एम.ए.ए. फाउण्डेशन के चेयरमैन जमाल अख्तर अर्पण और मुशताक शबनम के सुपुत्र साजिद आफाक शामिल हुये। कार्यक्रम का आरम्भ मुजाहिदुल इस्लाम द्वारा नात-ए-पाक पेश कर किया गया।
अध्यक्षीय भाषण में गुमान अंसारी ने कहा कि मुशताक शबनम बहुत ही नस्तालीक शख्स थे। उनके रख-रखाव और अंदाज में नफासत झलकती थी, जो उनके व्यक्तित्व का आइना थी। उन्होंने शबनम साहब के काव्य संग्रह के प्रकाशन पर अदबिस्तान की टीम, विशेषकर ड0 दानिश असरी की मेहनत की सराहना की।
मुख्य अतिथि अरशद जमाल ने कहा कि जब भी 'नस्तालीक़' शब्द सुनता हूँ तो शबनम साहब की याद ताजा हो जाती है। उनकी जिंदगी का रहन-सहन, बॉडी लैंग्वेज, बातचीत और अतिथिसत्कार अद्वितीय थी। उनके जाने के बाद शहर में वह जगहें खाली हो पड़ी हैं जहां पर लोग साहित्यिक चर्चा के लिये एकत्र होते थे। उन्होंने तलाश-ए-शहर निगाराँ की विशेषताओं पर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि किसी साहित्यकार की खास बात यही होती है कि वह अपने पाठकों एवं श्रोताओं के मन के रास्ते दिल में प्रवेश करता है, इसके लिये उसे अपने श्रोताओं के स्तर तक उतर कर उन्हीं की भाषा में अपनी बात कह लेना आवश्यक है जो साहित्यकारों का विशिष्ट गुण है।
डा0 इम्तियाज नदीम ने कहा कि शबनम साहब एक अच्छे शायर होने से पहले एक अच्छे इंसान थे। उनकी नफासत उनकी शायरी में भी झलकती थी। वह एक ज्ञान-प्रेमी व्यक्ति थे और अहल-ए-इल्म (शिक्षित व्यक्ति) का सम्मान करते थे। उन्होंने कहा कि शबनम साहब का अंग्रेजी साहित्य से भी गहरा सम्बन्ध था और उन्होंने इसे अपनी शायरी में इस्तेमाल किया।
डा0 शकील अहमद ने शबनम साहब से अपने पुराने रिश्तों का ज़िक्र करते हुये उनकी किताब तलाश-ए-शहर निगाराँ पर विस्तार से रोशनी डाली और कहा कि इस किताब का प्रकाशित होना उनकी दिली तमन्ना थी।
एम.ए.ए. फाउण्डेशन के चेयरमैन जमाल अख्तर अर्पण ने कहा कि इस किताब को पढ़कर हमारे समक्ष शबनम साहब की शख्सियत और उनकी खूबियाँ साफ दिखाई पड़ती हैं जो साहित्य के क्षेत्र में उनके द्वारा किये गये कार्याें तथा उनकी उपलब्धियों के साथ जुड़ी हुयी प्रतीत होती हैं।
इसके अलावा हम्माद अहमद 'हमाद', इमरान 'सागर', सलमान अबरार और सईदुल्लाह 'शाद' ने भी संबोधित किया। इसी के साथ बीच-बीच में शबनम साहब के काव्य संग्रह से गज़लें शहाब नोमानी, मुइनुद्दीन आमिर और मंज़ूरुल हक नाज़िर ने पेश कीं।
इस मौके पर कार्यक्रम के संयोजक साजिद ग़ुफ़रान, पूर्व शहर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष खालिद अंसारी, साजिद आफ़ाक़, जावेद सामिर, अज़हर सलीम, फ़ैज़ान असअद, निहाल जालिब, फ़ैसल रब्बानी, मंज़र जमील आशिक, शमीम सादिक, अजमल अबुल लैस, इस्माईल शादाँ, मास्टर मुजफ्फर अली (लेक्चरर मुस्लिम इण्टर कॉलेज), नवेद सरदार, ख़ुर्शीद आलम मदनी, अब्दुल वहीद रियाज़ी, कलीम जाज़िल, अंसार अंजान, असअदुल अज़मी, डा0 शमशाद अम्बर, मौलाना शमीम, अंसार उमरी, राशिद अल-जामई, राशिद ज़िया, शबनम साहब के पोते मूसा व ईसा, खालिद ज़की ऑफ़सेट प्रेस, फैसल अजीज, महफ़ूज जमाली सहित बड़ी संख्या में अदब-नवाज लोग उपस्थित रहे।
इस समारोह की अध्यक्षता उर्दू के वरिष्ठ एवं उस्ताद शायर गुमान अंसारी ने किया तथा संचालन का दायित्व मदरसा दारूल हदीस के अध्यापक डा0 दानिश अंसारी ने अंजाम दिया।