घोसी-मऊ-- कोविड-19 के नियमों एवं सोशल /फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए भारतीय भारतीय कैलेण्डर बुद्धाब्द 2566 आंबेडकर सन 130 का विमोचन, संगोष्ठी एवं मास्क वितरण का कार्यक्रम किया गया। जिसमे सबसे पहले आगन्तुकों का थर्मोस्केनिंग व सेनेटाइज कर मास्क वितरित करते हुए तथागत बुद्ध व बाबा साहेब डॉ. आम्बेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया गया। तदोपरांत कार्यक्रम के आयोजक डॉ. रामविलास भारती द्वारा कल्पित एवं निर्मित भारतीय भारतीय कैलेण्डर बुद्धाब्द 2566 आंबेडकर सन 130 का विमोचन मुख्य अतिथि पूर्व जिला विद्यालय निरीक्षक देवरिया शिवचन्द राम, सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) मण्ड़ल कानपुर, डॉ. आम्बेडकर जनमोर्चा के मुख्य संयोजक के.सी.भारती द्वारा किया गया। इस अवसर पर भारतीय संस्कृति में काल गणना एवं कैलेंडरों का महत्व: एक विमर्श विषयक संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि शिवचन्द राम ने कहा कि 14 अप्रैल से भारतीय नववर्ष बुद्धाब्द 2566 आम्बेडकर सन 130 प्रारम्भ हो चुका है। जो समता एवं मानवतावादी संस्कृति के निर्माण की वाहक है भारतीय कैलेण्डर बुद्धाब्द आम्बेडकर सन का कैलेण्डर। उन्होंने कहा कि मानव विकास एवं उसके इतिहास को जानने तथा सिलसिलेवार व संरक्षित रखने के लिए काल गणना का विशेष महत्व है। विभिन्न सभ्यता एवम् संस्कृतियों ने अपने काल गणना एवम् तिथि/ कैलेंडर प्रस्तुत किया है, जो विश्व के विभिन्न भागों में आज भी जीवन जीने एवम् व्यवहार करने का आधार बना हुआ है। विश्व इतिहास से स्पष्ट होता है कि काल गणना का आरंभ संबंधित सभ्यता/ संस्कृति के आराध्यों, महापुरुषों व उस समाज को एक नई दिशा देने वाले और संभवतः इतिहास के प्रति सचेत शासकों/समाज सुधारकों के नाम पर रखे गए हैं। प्राचीन काल से विभिन्न सभ्यताओं या विचारधाराओं से संबंधित वर्गों का परस्पर संघर्ष होता रहा है और उनकी इतिहास दृष्टियां भी अलग- अलग रही हैं। डॉ. रामविलास भारती द्वारा निर्मित यह कैलेण्डर समतावादी, मानवतावादी, तार्किक एवं वैज्ञानिकता पर आधारित संस्कृति के लिए एक दिन मिल का पत्थर साबित होगा। मुख्य अतिथि के.सी.भारती ने कहा कि डॉ. रामविलास भारती ने इस कैलेण्डर की रचना करके इतिहास रचा है और इतिहास को एक नई दृष्टि दी है।।यह कैलेंडर वंचित समाज के महापुरुषों के नामों पर आधारित है जिसका उद्देश्य महज भारतीय समाज को ही नहीं वरन वैश्विक समाज को एक नई दृष्टि प्रदान करना है। ऐतिहासिक विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि समाज निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले खासकर भारत में शोषितों, श्रमिकों, मूल भारतीयों/बहुजन समाज के लोगों तथा उनके नायकों को उपेक्षा की गई है और इतिहास में इनको कोई अपेक्षित स्थान नहीं दिया गया, बल्कि इनके इतिहास को गलत ढंग से अथवा तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत करते हुए इनकी सभ्यता/संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया गया है। आज हम समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व, विज्ञान एवं तर्क पर आधारित पुनः एक मानवतावादी समाज का निर्माण चाहते हैं तो आवश्यक है कि इन अवधारणाओं को जन्म देने वाले विश्व के प्रगतिशील, मानवतावादी, दार्शनिकों, समाज सुधारकों के जीवन एवं उनके कार्यों को महत्व देते हुए सभ्यता एवं संस्कृति के इतिहास में उसे रेखांकित किया जाय। विशिष्ट अतिथि अम्बेडकर जन मोर्चा के मुख्य संयोजक श्रवण कुमार निराला ने कहा कि आज हमें संविधान के दायरे में रहकर समाज को एकता के सूत्र में बांधकर राष्ट्रीय एकता व संस्कृति को मजबूत करना होगा। तभी बाबा साहेब डॉ. आम्बेडकर के सपनो का भारत बना सकते हैं। भारतीय कैलेण्डर के निर्माणकर्ता डॉ. रामविलास भारती ने कहा कि मूल भारतीयों/बहुजन समाज के उन महापुरूषों/ समाज सुधारकों के प्रयास से ही मानवता दर्शन की राह पर आगे बढ़ने की ताकत एवं गति मिली है। इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व, मानवीय, तार्किक, वैज्ञानिक एवं खगोलीय घटनाओं पर आधारित भारतीय कैलेंडर बुद्धाब्द 2566 अम्बेडकर सन् (अंबेडकराब्द) 130 प्रस्तुत किया गया है जिसे दिनचर्या का आधार बनाते हुए एक नई जीवन शैली विकसित करें तथा स्वस्थ समाज के निर्माण में सम्यक भूमिका निभाने मदद कर सकती है।
कार्यक्रम का संचालन लोकतंत्र सेनानी रामअवध राव ने किया। इस अवसर पर पी.ङी. टण्डन, डॉ. तेजभान, रमाशंकर एस. गौतम, आर.के.यादव, विजय कुमार, जगदीश गौतम, अखिलेश कुमार, दुखी प्रसाद, राम शरीख, शिव कुमार भारती रजनीश भारती, विद्या सागर पुष्पा, शीला, संजना, सोनाली, करीना, हर्षिता, पूजा, महेश कुमार, रामचंद्र, विनोद कुमार, सुनिल कुमार कन्नौजिया, बृजेश सागर, सुभाषचंद, शिवशंकर, रामानंद, आदि उपस्थित रहे।

