डाक्टर शैदा बैजापुरी की रचनायें परिपक्व और पाकीज़ा हैं। उनका मानना है कि रचनायें आसान ज़ुबान में हों ताकि जनसाधारण लोग आसानी से समझ सकें इसी लिये उनकी व्यंग व हास्य काव्य सरल भाषा में होते हैं। वह समाज की कुरीतियों, अंधविश्वास आदि पर गहरी नज़र रखते हैं तथा अपनी व्यंगात्मक रचनाओं के द्वारा लोगों को जागृत करने एवं सुधार करने का संदेश देते हैं।
उक्त विचार डाक्टर शैदा बैजापुरी की हास्य एवं व्यंग काव्य संग्रह 'ऐसा कैसे होगया' विमोचन समारोह में उपस्थित विशिष्ट व्यक्तियों ने प्रकट किये। समारोह के संरक्षण की भूमिका में डॉक्टर शकील अहमद तथा मुख्य अतिथि के रूप में डॉक्टर साजिद हुसैन अंसारी, उर्दू विभाग गोरखपुर विश्वविद्यालय उपस्थित रहे, समारोह की अध्यक्षता उर्दू के प्रसिद्ध शायर व लेखक गुमान अंसारी ने तथा संचालन प्रसिद्ध शायर, आलोचक, पत्रकार व लेखक अमीर हमज़ा आज़मी ने अदा की। काव्य संग्रह का विमोचन अंतराष्ट्रीय हास्य व व्यंग के शायर रहमतुल्लाह अचानक के द्वारा किया गया। ज़ुबैर आरज़ू ने डाक्टर शैदा बैजापुरी द्वारा रचित नात पढ़कर समारोह की शुरुआत की। डाक्टर शकील अहमद ने मुख्य अतिथि का परिचय कराते हुये उनके शैक्षिक योगदान का विवरण प्रस्तुत किया तथा डाक्टर शैदा बैजापुरी की रचनाओं की सराहना करते हुये काव्यसंग्रह के प्रकाशन पर उन्हें बधाई दी। समारोह के संचालक अमीर हमज़ा आज़मी ने सर इकबाल पब्लिक स्कूल के मैनेजर ओज़ैर गिरहस्त तथा व उनकी समिति के सदस्यों की तारीफ करते हुए कहा कि सर इकबाल पब्लिक स्कूल न सिर्फ नौनिहालों की शिक्षा दीक्षा की उत्तम व्यवस्था करता है बल्कि उर्दू साहित्य के विकास के अवसर भी इस विद्यालय से प्राप्त होते हैं। यहां बज़्मे शेरो अदब की काव्य गोष्ठियों के माध्यम से शेर व शायरी के शिक्षार्थी भी अपनी प्यास बुझाते हैं। इसके लिए स्कूल प्रबंधन धन्यवाद का पात्र है।
विशिष्ट अतिथियों ने अपने संबोधन ने उर्दू के विकास व उत्तरजीविता पर ज़ोर देते हुये प्रश्न किया कि ऐसा कैसे होगया कि अपनी वैश्विक पहचान बनाने वाली भाषा उर्दू अपने ही घर में परायेपन का शिकार होगई? ये कैसे होगया कि उर्दू के अखबार व पत्रिकाएं प्रकाशित करने वालों के आंसू कम पड़ने लगे हैं, ऐसा कैसे होगया कि मां के कदमों तले जन्नत ढूंढने वाले मातृ भाषा से ही लापरवाह होगये? वक्ताओं ने आह्वान किया कि भाषा का स्तित्व संप्रदाय की आन होती है इस पर हमें गंभीरता पूर्वक विचार करना होगा।
अध्यक्षीय संबोधन में गुमान अंसारी ने हास्य व व्यंग काव्य के महत्व बताते हुए कहा कि आमतौर से मुशायरों में हास्य व व्यंग्य के शायर बचाकर रखे जाते हैं और जब भीड़ तितर बितर होने लगती है लोग ऊबने लगते हैं तो उन्हें जोड़ने तथा उनका ध्यान आकृष्ट करने केलिये इन्ही शायरों को लगाया जाता है। हमें भी ऐसे रचनाकारों को ससम्मान सुरक्षित रखना होगा। गुमान अंसारी ने डाक्टर शैदा बैजापुरी उनकी काव्य रचना के प्रकासन पर बधाई दिया।
हास्य व व्यंग के प्रसिद्ध शायर रहमतुल्लाह अचानक ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि हास्य व व्यंग काव्य की रचना इतनी आसान नहीं है जितनी समझी जाती है। स्रोताओं व पाठकों के होंठों पर मुस्कान लाने केलिये अपने दुःख व पीड़ा भूल कर शब्दों को पिरोना पड़ता है।
डाक्टर साजिद हुसैन अंसारी ने डाक्टर शैदा बैजापुरी के काव्यसंग्रह पर टिप्पणी करते हुये नवयुकों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने का आह्वान किया तथा आशा व्यक्त किया कि समाज के योग्य व समर्थ लोग नौजवानों की शिक्षा के लिये संगठनात्मक ढांचे का निर्माण करेंगे।
विशिष्ट अतिथि डाक्टर ज़्याउल्लाह डी0सी0एस0के0 पी0जी कालेज मऊ ने हास्य व व्यंग की शायरी को एक मुश्किल फल बताते हुये डाक्टर शैदा बैजापुरी को उनके काव्य संग्रह के विमोच पर बधाई दिया तथा विशेषतः पुस्तक के कवरपेज पर अंकित चित्र पर टिप्पणी किया जिसमें एक पत्नी अपने पति को बेलन का निशाना बना रही है उसके ऊपर लिखा है "ऐसा कैसे हो गया"
नगरपालिका अध्यक्ष तय्यब पालकी और पूर्व चेयरमैन अरशद जमाल ने भी गोष्ठी को संबोधित किया।